भारत का एक ऐसा गांव जहां रहता है बस 1 परिवार

क्या आपने किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है, जहां पर पहले तो सैकड़ों लोग रहते थे। लेकिन अब सिर्फ एक फैमिली बच गई है?

असम के नलबाड़ी जिले में एक ऐसा ही गांव है, जिसका नाम बरधनारा है। 

इस गांव से कोई नौकरी की तलाश में तो कोई पढ़ाई की खातिर अपने गांव-शहर को छोड़ता है। 

30 से 40 साल पहले तक ये एक समृद्ध गांव हुआ करता था। लेकिन 2011 की जनगणना में केवल 16 लोगों तक इस गांव की आबादी ठहर गई। 

जर्जर सड़क और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण बरधनारा गांव में अब सिर्फ पांच सदस्यों वाला एक ही परिवार बचा है। 

जिला मुख्यालय नलबाड़ी से 12 किमी दूर घोगरापारा सर्कल के इस गांव में अब बिमल डेका, उनकी पत्नी अनिमा और उनके तीन बच्चे – नरेन, दीपाली और सेउती ही रहते हैं। इस गांव से 2 किलोमीटर दूर बाइक चलाने योग्य सड़क है।

बिमल डेका की बेटी दीपाली ने बताया कि हमें अपने स्कूल और कॉलेज जाने के लिए निकटतम बाइक चलाने योग्य सड़क तक पहुंचने के लिए पानी और कीचड़ भरे रास्तों से 2 किमी तक चलना पड़ता है।

नाव चलाने का काम बच्चों की मां अनिमा करती हैं। इतनी कठिन परिस्थितियों के बावजूद, परिवार ने तीनों बच्चों के लिए उचित शिक्षा मुहैया करवाया, जिसमें दीपाली और नरेन ग्रेजुएट हैं, तो सेउति हायर सेकंडरी कर रही है। 

आपको जानकर हैरत होगी, लेकिन बता दें कि इनके गांव में बिजली भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बच्चे केरोसिन लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते हैं।

मानसून के सीजन में जब खूब बारिश होती है, तब ये गांव पूरी तरह से कट जाता है। एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए नाव का प्रयोग करना पड़ता है। 

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