आपने इस बात पर कभी गौर किया है कि होटल्स में चेक-इन टाइम को लेकर कोई नियम- कानून नहीं होते, लेकिन चेकआउट टाइम फिक्स होता है दोपहर 12 बजे।
बड़े या छोटे होटल्स किराया तो आपसे पूरे 24 घंटे का लेते हैं लेकिन कमरा आपको 24 घंटे के लिए नहीं मिलता है।
आखिर इसके पीछे होटल्स का क्या लॉजिक है। तो यहां जानें इस सवाल का जवाब।
होटल के स्टाफ को कमरों की साफ-सफाई, बेडशीट, कवर के साथ और दूसरी जरूरी तैयारियों के लिए पूरा टाइम मिल जाता है। लेट चेकआउट की वजह से इन तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।
वेकेशन के दौरान लोग आराम से उठना और तैयार होना पसंद करते हैं। इसी कंफर्ट का ध्यान रखते हुए 12 बजे चेकआउट टाइम रखा जाता है, न कि सुबह 9 या 10 बजे। इससे वो आराम से रेडी हो सकते हैं।
अगर चेकआउट लेट से होता है, तो सारी चीज़ों को जल्दी-जल्दी मैनेज करने के लिए होटल्स को ज्यादा एम्प्लाई रखना पड़ता है। किसी एक स्टाफ पर पूरा काम नहीं छोड़ा जा सकता, जिससे उनका बजट बढ़ सकता है।