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छठी मैया का प्रिय प्रसाद ठेकुआ है अंतराष्ट्रीय व्यंजन? हजारों साल का इतिहास जान उड़ जाएंगे होश!

ठेकुआ छठ पूजा का पारंपरिक प्रसाद है। यह छठी मैया को बहुत प्रिय है, इसीलिए व्रत के दौरान इसे प्रसाद के रूप में बनाया जाता है।

छठ पूजा के बाद ठेकुआ को प्रसाद के रूप में दोस्तों और रिश्तेदारों में भी बांटा जाता है।

इस बारे में कोई सही जानकारी नहीं है कि सबसे पहले ठेकुआ किसने बनाया, कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है कि लगभग 3700 साल पहले ऋग्वैदिक काल में ठेकुआ जैसे व्यंजन 'अपूप' का ज़िक्र मिलता है।

अपूप व्यंजन ठेकुआ से काफ़ी मिलता-जुलता है। एक किंवदंती के अनुसार, जब भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद बोधि वृक्ष के पास 49 दिनों का उपवास रखा था

उस समय दो व्यापारी वहाँ से गुज़रे और बुद्ध को आटे, घी और शहद से बना एक पकवान दिया।

भगवान बुद्ध ने इस पकवान को खाकर अपना उपवास तोड़ा था, ऐसा माना जाता है कि यह पकवान ठेकुआ था।

ठेकुआ शब्द 'ठोकना' से बना है, जिसका अर्थ है "हथौड़े से मारना"। 

ठेकुआ आटे को हथौड़े या किसी भारी चीज से दबाकर बनाया जाता है।

ठेकुआ शब्द बिहारी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है उठाना।

छठ पूजा के दौरान भक्त आरती के दौरान प्रसाद उठाते हैं और खाते हैं।

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