कंबो ट्रीटमेंट, एक देशी इलाज है, जो कैंसर, बांझपन, अल्जाइमर जैसी बीमारियों के इलाज का दावा करता है।
कंबो ट्रीटमेंट में अमेजन के जंगलों में पाए जाने वाले कंबो मेंढक का जहर उपयोग किया जाता है।
इसे 'वैकसीन ऑफ द फॉरेस्ट' कहा जाता है और यह ब्राजील-पेरू जैसे देशों में प्रचलित है।
मरीज को पहले 1 लीटर पानी या कसावा सूप दिया जाता है।
फिर शरीर के किसी हिस्से को गर्म रॉड से जलाकर जख्म बनाये जाते हैं।
इन जख्मों में कंबो मेंढक का जहर डाला जाता है, जो खून के जरिए पूरे शरीर में फैलता है।
मरीज को उल्टी, दस्त, चक्कर आना, तेज दर्द, हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं होती हैं। हालत बेहद खराब हो जाती है और यह स्थिति 5-30 मिनट तक रहती है।
जहर बाहर निकालने के लिए मरीज को पानी या चाय दी जाती है, और उसे नदी में लेटने के लिए कहा जाता है।
कंबो ट्रीटमेंट कई देशों में प्रतिबंधित है, लेकिन अमेरिका में यह इलाज प्रचलित है, जहां कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।
इसमें गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता है, हालांकि इससे मौत का खतरा भी है।
कंबो ट्रीटमेंट से 2019 में अमेरिका, 2018 में इटली, और 2009 में चिली में मौत की घटनाएं हुई हैं।
इस इलाज की कारगरता पर कोई वैज्ञानिक शोध नहीं हुआ है, इसलिए इसके प्रभाव को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।
इस इलाज की कारगरता पर कोई वैज्ञानिक शोध नहीं हुआ है, इसलिए इसके प्रभाव को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।
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