A view of the sea

 कौन थी मंदिरों में रहने वाली ये औरतें,  जिन्हे तवायफों की तरह ही देनी पड़ती                 थी ऐसी कुर्बानियां?

देवदासी प्रथा मुख्यतः दक्षिण भारत, ओडिशा और बंगाल में प्रचलित थी।

देवदासियों को मंदिर में नृत्य और संगीत की प्रस्तुति देनी होती थी।

उनका जीवन कठिनाइयों से भरा होता था, जिसमें कई बलिदान शामिल थे।

देवदासियों का पूरा जीवन मंदिर में ही बीतता था, परिवार नहीं होता था।

उन्हें कम उम्र से कथक, भरतनाट्यम जैसी नृत्य कलाओं का अभ्यास करना पड़ता था।

देवदासियों को शादी करने का अधिकार नहीं था और वे बच्चे नहीं पैदा कर सकती थीं।

उनका भोजन, कपड़े आदि मंदिर के श्रद्धालुओं द्वारा दान में दिए जाते थे।

वे मंदिर की साफ-सफाई और अन्य कार्य करती थीं, लेकिन वेतन नहीं मिलता था।

देवदासी बनने के बाद उन्हें अपने परिवार से मिलने की अनुमति नहीं होती थी।

Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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