1. यमुना में आने वाली बाढ़ से इसके किनारे रहने वाले लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है।
2. संपत्ति के साथ-साथ जानवरों की जान भी खतरे में आ जाती है। बाढ़ के कारण पानी रिहायशी इलाकों में घुस जाता है, जिससे बीमारी फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
3. सरकार विस्थापित लोगों के रहने और खाने-पीने का इंतजाम करती है, लेकिन ज्यादातर बार यह नाकाफी साबित होता है।
4. खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो जाती हैं, खासकर सब्जियां, फल और फूल खेतों में ही नष्ट हो जाते हैं।
5. जानवरों के विस्थापित होने से लोगों का रोजगार भी प्रभावित होता है। यमुना के किनारे रहने वाले लोग दूध का व्यापार करके अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन बाढ़ के दौरान उनका रोजगार खत्म हो जाता है या धीमा पड़ जाता है।
1. बाढ़ की स्थिति में नदी में पानी के प्रवाह का उपयोग जलाशयों को भरने के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
2. बाढ़ की स्थिति में जलाशयों में जमा पानी का उपयोग सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ जलविद्युत उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है।
3. यमुना का पानी प्रदूषित है, लेकिन जब बाढ़ आती है तो इस नदी का पानी साफ हो जाता है।
4. बाढ़ की स्थिति में खेतों में खड़ी फसलें पहली बार तो खराब हो जाती हैं, लेकिन इससे मिट्टी की ताकत बढ़ जाती है। जिससे बाद की फसलों को काफी फायदा मिलता है।
5. किसी भी नदी के लिए अविरलता और स्वच्छता बहुत जरूरी है। ऐसे में बाढ़ का तेज प्रवाह नदी में जमा कचरे को भी बहा ले जाता है। ऐसे में यमुना को काफी फायदा होगा।