A view of the sea

    मर्दों की तरह हिंदू महिलाएं भी रख   सकती थीं कई पति, लेकिन अब ऐसा                    नहीं जानें क्यों?

प्राचीन समय में महिलाओं को कई पति रखने का अधिकार था: प्राचीन भारत में महिलाओं को एक से अधिक विवाह करने की स्वतंत्रता थी, और वे एक से अधिक पतियों के साथ भी रह सकती थीं।

समय के साथ एकपत्नी-प्रथा (Monogamy) का अनुसरण अधिक होने लगा, जिसमें पुरुष और महिला दोनों को केवल एक पति या पत्नी रखने की प्रथा अपनाई गई।

एक दिन ऋषि उद्दालक के पुत्र श्वेतकेतु ने देखा कि एक पुरुष उनकी मां को विवाह के लिए आमंत्रित करता है और वह उनके साथ चली जाती हैं। यह देखकर श्वेतकेतु क्रोधित हो गए।

श्वेतकेतु के सवाल पर उनके पिता ऋषि उद्दालक ने समझाया कि उनकी मां को कई विवाह करने का अधिकार है, और यह प्राचीन समय में सामान्य था।

इस घटना के बाद श्वेतकेतु ने हिंदू धर्म में एक नया नियम स्थापित किया कि एक पुरुष या महिला केवल एक ही पति या पत्नी रख सकते हैं।

इस नियम के तहत, यदि कोई स्त्री अपने पति को छोड़कर दूसरे पुरुष के पास जाती है, या पुरुष अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी स्त्री से संबंध करता है, तो उन्हें भ्रूणहत्या के अपराधी माना जाएगा।

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