A view of the sea

इस जगह से हुई थी होलिका दहन की शुरूआत, सतयुग से है संबंध

भारत और दुनिया भर में होली का जश्न हर वर्ष बड़े उत्साह और परंपरा के साथ मनाया जाता है। 

 इस दिन लोग तरह- तरह के रंगों से एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और ये  त्योहार मनाते हैं 

आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे यहां से होलिका दहन की शुरूआत हुई थी

यह ऐतिहासिक स्थान बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित है। जहां भक्तराज प्रह्लाद के आह्वान पर भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे । 

श्रीमद्भागवत में भगवान के अवतार के संदर्भ में कथा है कि असुर राज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र भक्त राज प्रह्लाद को भगवान नारायण से शत्रुता करने के लिए समझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रह्लाद नहीं माना। 

हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को गोद में बैठाया और चिता में आग लगवा दी।

होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती, इसलिए सभी ने सोचा कि अब प्रह्लाद मारा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

होलिका खुद चिता की आग में जल गई और भक्तराज सुरक्षित बच गया।

तब से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर साल पूरे देश में होलिका दहन की परंपरा शुरू हो गई। 

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