किस तरीके से रामलला के सिर तक पहुंची सूर्य की रोशनी

रामनवमी के दिन तीसरी मंजिल पर लगे ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम के पहले रिफ्लेक्टर पर सूर्य की रोशनी आई।

इसके बाद शीशे पर जाएंगी और फिर लैंस के जरिए आगे बढ़ेंगी।

इसके बाद वर्टिकल पाइप के जरिए लेंस से गुजरते हुए।

जो कि सेकंड के अंतराल पर शीशे और लेंस की किरणों की गति बदलते रहेंगे।

जो कि 60 डिग्री के एंगल पर लगा होगा।

रिफ्लेक्टर को छत पर लगाया जाएगा।

यह तिलक रामलला के मस्तिष्क पर 4 मिनट तक 75 मिमी के गोल तिलक के शेप में दिखा।

इस तकनीक में 19 इलेक्ट्रिक गियर भी लगाए गए हैं।

रोशनी गर्भ ग्रह में रामलाल की मूर्ति के सामने लगे शीशे से होके गुजरीं।