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कैसे 17 श्रंगार करते हैं नागा साधु? दुनिया से छुपा कर रखते हैं ये बातें

नागा साधु सांसारिक मोह-माया, सांसारिक सुख से पूरी तरह वैराग्य होते है।

आइए आपको बताते है कि नागा साधु  आखिर 17 तरह के श्रृंगार करते क्यों हैं?और इन 17 श्रृंगार का नियम क्या है?

आपको बता दे, नागा साधु केवल कुंभ या अर्धकुंभ में उमड़ते हैं,और कुंभ में नागा साधु सबके लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं।

वो इसलिए भी खास होते हैं क्योंकि शाही स्नान में सबसे पहले स्नान करने का अधिकार नागाओं को ही दिया जाता है।आपको बता दे, नागा साधु अपने श्रृंगार को एक महिला के भाति गोपनीय रखते हैं।

नागा साधु 17 श्रृंगार करते हैं, और वो ये अनोखा श्रृंगार अपने लिए नहीं करते, बल्कि अपने आराध्य शिव के लिए करते हैं।

नागा साधुओं के 17 श्रृंगार कुछ ऐसे है,बिंदी की जगह तिलक,झुमके के जगह कुंडल,बिंदी की जगह तिलक,अंगूठी के स्थान पर छल्ला,बालों मे पंचकेश,कपड़ों की जगह लंगोटी पहनते है।

नागा साधुओं के 17 श्रृंगार कुछ ऐसे है,बिंदी की जगह तिलक,झुमके के जगह कुंडल,बिंदी की जगह तिलक,अंगूठी के स्थान पर छल्ला,बालों मे पंचकेश,कपड़ों की जगह लंगोटी पहनते है।

और कमरबंद मे रुद्राक्ष या फूलों की माला,मेहंदी की जरह रोली का लेप,काजल के जगह काजल,मांगटीका के बदले लटों में बंधे बाल,पायल के जगह लोहे या चांदी का कंगन और नाक की नथ के बदले चिमटा डमरू या कमंडल।

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