भारत में मुगल बादशाह हुमायूं ने 1500 में कश्मीर से बर्फ को तोड़कर उसकी सिल्लियों का आयात करना शुरू किया था।
फिर मुगल राजा फलों के रस को बर्फ से लदे पहाड़ों की ओर भेजते थे। वहां उन रसों को जमाकर शर्बत बनाते थे। फिर इसे गर्मियों के इलाज के रूप में पीते थे।
अकबर के शासन काल में हिमालय की वादियों से बर्फ मंगाया जाता था। इसके लिए हाथी, घोड़ों और सिपाहियों की सहायता ली जाती थी।
सन् 1833 में दिल्ली में बर्फ अमेरिका से आयी थी। उस वक्त बर्फ के लिए स्वयं तत्कालीन गवर्नर जरनल ने जहाज के कप्तान की शुक्रिया अदा किया था।
हालांकि अंग्रेजो को बर्फ मंगवाने को यह तरीका बहुत महंगा लगा था। जिसके बाद उन्होंने दिल्ली में ही बर्फ जमाने का प्रबंध किया था।
दिल्ली गेट से तुर्कमान गेट तक खंदकें खोदकर उनमें नमक मिला पानी भर कर टाट और भूसे की मदद से सर्दियों में बर्फ की पपड़ी तैयार की जाती थी, जिसे विशेष गड्ढों से गर्मियों तक सुरक्षित रखा जाता था।