भारतीय विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव तब देखने को मिला जब भारत ने प्योंगयांग में अपना दूतावास फिर से खोला।
यह कदम खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर कोरिया दशकों से अमेरिका का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रहा है।
उत्तर कोरिया के दो प्रमुख साझेदार हैं, रूस और चीन।
जो इसका इस्तेमाल अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ कूटनीतिक और सैन्य दबाव के तौर पर करते हैं।
हाल ही में रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों में प्रगति हुई है, खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद।
उत्तर कोरिया के साथ दूतावास खोलने का भारत का फैसला दिखाता है कि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाता है।
इससे चीन और रूस के साथ उसके संबंध मजबूत हो सकते हैं।
साथ ही भारत को उत्तर कोरिया के प्राकृतिक संसाधनों से आर्थिक लाभ मिल सकता है।