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महाशिवरात्रि पर भागवान शिव की पूजा का काफी महत्व होता है। इस दिन भक्त भगवान को अपनी भक्तिी दिखाते है।
जैसी की भोलेनाथ के भक्त जानते है की इस दिन माता पार्वती और शिव का विवाह हुआ था। ऐसे में हर साल इसें मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त बड़ी संख्या में शिव मंदिर पहुंचकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और उन्हें बेलपत्र, आक, भांग और धतूरा अर्पित करते हैं।
महापुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था, उस समय असुर और देवताओं में समुद्र से निकली चीजों का बंटवारा किया गया था।
समुद्र मंथन में निकला हलाहल विष जब भगवान शिव ने पिया तो उनका कंठ नीला हो गया और वह व्याकुल और अचेत हो गए, जिसे देखकर सभी देवी देवता संशय में पड़ गए।
ऐसे में आदिशक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने भगवान शिव को बचाने के लिए जड़ी बूटी और जल से अभिषेक करने की सलाह दी।
जैसे ही देवी-देवताओं ने भगवान शिव का भांग, धतूरा, बेल जैसी जड़ी बूटियों से निरंतर अभिषेक किया तो भोलेनाथ के मस्तिष्क का तापमान धीरे-धीरे कम होता गया और वह स्वस्थ हो गए।
तभी से भोलेनाथ पर भांग, धतूरा चढ़ाए जाने की परंपरा चली आ रही है।