Food लेवल्स के दावों का सच जानें 

खाद्य उत्पादों पर  ग़लत दावों के चलते पहले भी कंपनियों पर अदालती कार्रवाई हुई है।आइए जानें ऐसे ही कुछ दिलचस्प मामलें...

सितंबर, 2023 में चेन्नई की एक उपभोक्ता अदालत ने आईटीसी कंपनी पर बिस्किट के डब्बे में दावे से एक बिस्किट कम रखने के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

एमवे के उत्पाद कई बार अदालती विवादों में घिर चुके हैं। दिल्ली में राष्ट्रीय उपभोक्ता मंच ने 2017 में एमवे कंपनी के दो उत्पादों, एमवे मैड्रिड सफेद मूसली (ऐपल) और कोहिनूर अदरक लहसुन पेस्ट को बाज़ार से हटाने का आदेश दिया था।

ग़ैर-लाभकारी उपभोक्ता अधिकार संगठन कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की ओर से मूसली में दोयम दर्जे के प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किया गया है जबकि उसके बारे में लेबल्स पर कोई जानकारी नहीं दी गई है, यानी इस मामले में उत्पाद की ग़लत ब्रैंडिंग हो रही है।

खाद्य सुरक्षा से संबंधित यह सबसे चर्चित मामलों में एक है। जून, 2015 में खाद्य नियामक एजेंसी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI)ने नेस्ले कंपनी उसके प्रमुख उत्पादों में एक मैगी को बाज़ार से हटाने का निर्देश दिया था।

इस निर्देश में कहा गया था कि मैगी नूडल्स में सीसे की मात्रा ज्यादा है और उसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) भी शामिल है, जबकि कंपनी के विज्ञापनों में दावा किया जा रहा था कि इसमें 'नो एडेड एमएसजी' है।

FSSAI के अनुसार, "मिलावटी, असुरक्षित और घटिया खाद्य पदार्थ, लेबलिंग में दोष और खाद्य उत्पादों से संबंधित भ्रामक दावों और विज्ञापनों से जुड़े मामलों के बारे में उपभोक्ता अपनी शिकायतें और प्रतिक्रिया दर्ज कर सकते हैं।"