प्रचलित धारणा है कि महाभारत की शुरुआत दुर्योधन के अहंकार और शकुनि की चालाकियों के कारण हुई।
कुछ लोग द्रौपदी के अपमानजनक शब्दों, जैसे दुर्योधन को “अंधे का पुत्र” कहना, को युद्ध की वजह मानते हैं।
दुर्योधन को इन तीन महान योद्धाओं की शक्ति का अहंकार था। उनके रहते पांडवों को हराना लगभग असंभव था।
कर्ण, सूर्यपुत्र होने के नाते अजेय थे। उनके पास दिव्य कवच-कुंडल और ब्रह्मास्त्र जैसे अस्त्र थे।
द्रोणाचार्य शस्त्र विद्या में पारंगत और शक्तिशाली थे। उनका समर्थन कौरवों को बड़ी ताकत देता था।
भीष्म ने कौरवों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली थी। उनकी उपस्थिति से कौरव सेना अजेय प्रतीत होती थी।
कृष्ण के अनुसार, कर्ण, द्रोण और भीष्म जैसे योद्धाओं की शक्ति और अहंकार महाभारत युद्ध की असली वजह थी।
ये तीन योद्धा केवल तभी हार सकते थे जब वे स्वयं अपने अस्त्र-शस्त्र छोड़ने को तैयार हों। पांडवों ने रणनीति और कृष्ण की सहायता से यही संभव बनाया।