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कितनी भी शादी करो.. एक फैसला और पाकिस्तान में हो गई मर्दों की मौज!

पाकिस्तान की शीर्ष धार्मिक संस्था काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) ने एक अहम फैसला लिया है। 

जिसमें मुस्लिम पुरुष की पहली पत्नी को अपनी शादी को रद्द करने का अधिकार नहीं है, भले ही उसका पति उसकी सहमति के बिना दूसरी शादी कर ले।

सीआईआई की बैठक के बाद यह फैसला जारी किया गया, जिससे देश में बहुविवाह से जुड़ी कानूनी और धार्मिक बहस फिर गरमा गई है। 

सीआईआई ने पाकिस्तान में इस्लामी सिद्धांतों के अनुरूप कानून बनाने की सिफारिश की है।

संस्था ने कहा कि पति की दूसरी शादी के आधार पर पहली पत्नी को अपनी शादी को रद्द करने का अधिकार देना इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है। 

काउंसिल के मुताबिक, शरिया पुरुषों को चार शादियां करने की इजाजत देता है और इसमें पहली पत्नी की सहमति की कोई शर्त नहीं है।

उधर सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा कि शरिया के तहत किसी पुरुष को दूसरी शादी के लिए अपनी पहली पत्नी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। 

इस पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दूसरी शादी के लिए पहली पत्नी की सहमति या मध्यस्थता परिषद की मंजूरी जरूरी है।

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