पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी बन सकती है नागा साधू, देनी पड़ती है ये कठिन परीक्षा

देश में नागा साधुओं की परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। वहीं महिला नागा साधू बनने की मंजूरी पिछले कुछ दशकों से दी गई है।

महिलाओं को नागा साधू बनने से पहले कई कठिन तप और परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है।

नागा साधु बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल की अवधि तक ब्रह्मचर्य का पालन करती है।

इसमें सफलता मिलने के बाद गुरु द्वारा नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है।

जिसके बाद उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता है। इसी के साथ उन्हें अपने शरीर पर नारंगी या लाल रंग का कपड़ा और हथियार रखना होता है।

परीक्षा प्रक्रिया पूरी करने के बाद, महिला नागा "मां" बन जाती हैं।

शुरुआती दस सालों तक उन्हें कठिन ट्रेनिंग दी जाती है।

नागा साधु बनने से पहले उन्हें अपना पिंडदान करना होता है और पिछली जिंदगी को पीछे छोड़ना होता है।

महिलाओं को संन्यासी बनाने की प्रक्रिया अखाड़ों के सर्वोच्च पदाधिकारी आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा पूरी कराई जाती है।

कुंभ जैसे अवसरों पर ही महिला नागा साधू सार्वजनिक तौर पर सामने आती हैं।

पुरुष नागा साधु पूरी तरह से नग्न रहते हैं, जबकि महिला नागा साधु अपने शरीर को गेरुए रंग के एक वस्त्र से ढक कर रख सकती हैं।

हालांकि जब वो अखाड़े में होती हैं तब वो भी बगैर वस्त्र धारण किए रहती हैं।