ठाकुर जी और राधारानी के भक्त वृंदावन के सुप्रसिद्ध गुरु प्रेमानंद महाराज सभी को जीवन से जुड़ी सलाह देते हैं।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'अगर कोई भगवान की मूर्ति उपहार में देता है, तो हमें उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।
'भगवान को घर लाकर अगर हम भगवान की सेवा नहीं करेंगे, तो ऐसा करने से देवता नाराज हो जाएंगे।
इसलिए अगर कोई भगवान की मूर्ति या छवि उपहार में देता है, तो पहले उन्हें प्रणाम करें और फिर वापस कर दें।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'घर में ठाकुर जी की उतनी ही मूर्ति रखनी चाहिए, जितनी आप सेवा कर सकें।
आजकल लोग अपना कारोबार चलाने के लिए बैग आदि पर भी भगवान की छवि या नाम छपवा लेते हैं।
ऐसी पूजा से भगवान कभी प्रसन्न नहीं होंगे और आपकी पूजा से भी प्रसन्न नहीं होंगे।
'जो कोई भगवान के नाम का अपमान करता है, उसे उनका आशीर्वाद नहीं मिलता।
इसलिए भगवान की मूर्ति को न तो स्वीकार करना चाहिए और न ही उपहार के रूप में देना चाहिए।'