लीन श्नाइडर-केनर एक यहूदी लेखिका और कलाविद थीं। भारत यात्रा पर उन्होंने तवायफों की जिंदगी को बहुत करीब से जाना।
उनकी किताब में अलग-अलग शहरों की तवायफों की सोच, जीवनशैली समेत कई बातों का जिक्र है।
लीन की मानें तो आगरा की बेहद अमीर तवायफों में से ज्यादातर के अंदर अपना प्यार पाने की इच्छा होती थी। कई तवायफों के अपने कद्रदानों से अलग कोठे के मर्दों के साथ भी प्रेम संबंध चलते थे।
कुछ तवायफें उम्र ढलने पर अकेलेपन से जूझती थी। वो अपना सिक्का जमाने के लिए कई उपाय करती थीं।
कई तवायफों कोठे की दुनिया से बाहर निकलकर अपनी जिंदगी स्वतंत्र ढंग से जीना चाहती थी।