जिंदगी से हार चुके इंसान को तरक्की  का रास्ता दिखाएंगे ये 7 श्लोक जीवन,    उच्चारण करने से मिनटों में दिखेगा                           असर  

जीवन में सफलता भला कौन नहीं चाहता लेकिन कई बार किस्मत इंसान को अंदर से तोड़ देती हैं लेकिन हताश न हो आज हम आपके लिए लेकर आए है 7 ऐसे मोटिवेशनल कोट्स जिन्हे पढ़कर आपकी अंदर जीने की नै उमंग जाग उठेगी।

गांठ बांध लें संस्कृत के ये श्लोक ऐसे में यदि आप भी लाखों की भीड़ में सूरज के तेज से चमकना चाहते हैं तो संस्कृत के इन श्लोक को गांठ बांध लें। यकीन मानिए सफलता खुद आपके पास चलकर आए हैं।

विद्वानेवोपदेष्टव्यो.. विद्वानेवोपदेष्टव्यो नाविद्वांस्तु कदाचन । वानरानुपदिश्याथ स्थानभ्रष्टा ययुः खगाः ॥

लसस्य कुतो विद्या... लसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् । अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥

विद्यां ददाति विनयं... विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥

आलस्यं हि मनुष्याणां आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्शो महारिपुः । नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कुर्वाणो नावसीदति ॥

इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः। मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः॥

काक: चेष्टा, बको ध्यानं काक: चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंचलक्षणम् ॥

सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सततं प्रियवादिन: । अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभ:।।