लिव-इन रिलेशनशिप में रहती हैं भारत की ये जनजातियां

जब एक लड़का और लड़की अपनी मर्जी से एक की छत के नीचे बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह रहते हैं तो उस रिश्ते को लिव-इन रिलेशनशिप कहा जाता है।

भारत की कई जनजाति लिव-इन रिलेशनशिप में रहती हैं। लिव-इन रिलेशन की यह परंपरा काफी पुरानी है। 

छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र के पास मुरिया जनजाति रहती है।  यहां महिलाओं को अपना पार्टनर चुनने और लिव-इन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

मुरिया जनजाति

राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में गरासिया जनजाति रहती है। ये जनजाति लिव-इन-रिलेशनशिप को एक परंपरा के तौर पर निभाते हैं। यह परंपरा हजार साल पुरानी है। यहां शादी करने का कोई दबाव नहीं होता है। 

गरासिया जनजाति

गरासिया जनजाति में पार्टनर चुनने के लिए मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में लड़के और लड़कियां अपना मनचाहा पार्टनर चुन सकती हैं।

लिव-इन में रहने के लिए लगता है मेला

आप अपने पार्टनर के साथ रह सकते हैं। लिव-इन के दौरान अगर बच्चे हो जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी दोनों की ही रहती है।

झारखंड की मुंडा और कोरवा जनजाति के कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। इस जनजाति में कपल 30 से 40 साल तक लिव-इन में रहते हैं। बिना शादी के साथ रहने वाले कपल को ढुकुनी और ढुकुआ कहा जाता है।

मुंडा और कोरवा जनजाति

झारखंड के आदिवासी में हजारों जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। इसका एक सबसे बड़ा कारण है कि वह शादी की पार्टी का आयोजन नहीं कर पाते हैं। जिनके पास गांव के लोगों को दावत देने के लिए पैसे नहीं होते थे। वह लिव-इन में रहने लगते थे। आदिवासी गांव में एक परिवार की दो या तीन पीढ़ियां बिना शादी किए साथ रहते हैं।  

ढुकु की शुरुआत कैसे हुई