बरगद का वो पेड़, जिसकी मीठी सुगंध से शवों की भी नहीं आती दुर्गंध, दुनिया के ल‍िए बना है रहस्‍य

बरगद का यह पेड़ इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर स्‍थ‍ित ट्रुनियन गांव में है। यह गांव बाली की सबसे बड़ी झील बटूर के करीब है। ट्रुनियन गांव का नाम तारू और मेन्यन शब्दों से मिलकर बना है

इसमें तारू का अर्थ है पेड़ और मेन्यन को एक धूप वृक्ष के रूप में जाना जाता है। यहां शवों के अंत‍िम संस्‍कार की एक अनोखी परंपरा है।

जब लोगों की मौत हो जाती है, तो शवों को इसी बरगद के पेड़ के नीचे सड़ने के लिए छोड़ द‍िया जाता है। इन्‍हें बांस से बने एक बक्‍से से ढंक दिया जाता है।

बरगद के इस पेड़ से इतनी मीठी सुगंध आती है, जो इन शवों के दुर्गंध को भी छिपा लेती है।

कहते हैं क‍ि सुरकार्ता के राजा के राजा के 4 बच्चे हुए। तीन राजकुमार और एक राजकुमारी। एक दिन इन बच्चों को तेज सुगंध महसूस हुई।

नदियों, पहाड़ों और पहाड़ियों की कई महीनों की यात्रा के बाद चारों सेलाट बाली पहुंचे। राजा की यहां के दृश्‍य देखकर मोह‍ित हो गई।

उसने कहा, अब वह कहीं और नहीं जाना चाहती. तब से वह यहीं रहती है। उसका एक मंदिर भी यहां बनाया गया है।