बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक, अमरीश पुरी को कैसे मिली शोहरत
जानिए कैसा रहा अमरीश पूरी का बॉलीवुड में रिजेक्शन से लेकर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता बनने तक का सफर
22 साल की उम्र में अमरीश पुरी ने हीरो के रोल के लिए ऑडिशन देने शुरू किेए तब उन्हे कई रिजेक्शन का सामना करना पड़ा
कड़ी मेहनत से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई और एक बडा मुकाम हासिल किया
अमरीश पुरी (22 जून 1932 - 12 जनवरी 2005) एक भारतीय अभिनेता थे, जो भारतीय सिनेमा और रंगमंच में सबसे महत्वपूर्ण हस्तियों में से एक थे।
उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी भाषा की फिल्मों में काम किया, लेकिन वे पंजाबी , तेलुगु , कन्नड़ , तमिल , मलयालम और मराठी भाषा की फिल्मों में भी दिखाई दिए
1970 में उन्हें बॉलीवुड में पहला ब्रेक मिला.‘प्रेम पुजारी’के नाम से एक फिल्म में वो एक छोटे से रोल में दिखे,1980 में हम पांच फिल्म से वो लोगों की नजरों में आ गए. उसके बाद हर बार पर्दे पर वो भारी-भरकम लगे
पुरी ने कई हिट फिल्मों जैसे विधाता (1982), हीरो (1983), मेरी जंग (1985), नगीना (1986), मिस्टर इंडिया (1987), जीत (1996) में खलनायक की कुछ सबसे यादगार भूमिकाएँ निभाईं
रिपोर्ट के अनुसार पुरी एक करोड़ रुपये की फीस चार्ज किया करते थे. उन्होंने लगभग 30 सालों तक 400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया था
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