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होता है ऐसा हाल जब पति-पत्नी का एक                    ही हो है ब्लड ग्रुप?

जब पति-पत्नी का एक ही ब्लड ग्रुप होता है, तो इसके प्रभाव किस प्रकार एक कपल पर पड़ते है इस बारे में आज हम आपको पूरी जानकारी देते हुए बताएंगे... 

एक ही ब्लड ग्रुप होने पर दोनों एक-दूसरे को जरूरत पड़ने पर आसानी से रक्त दान कर सकते हैं।

समान ब्लड ग्रुप दर्शाता है कि उनकी जेनेटिक संरचना में कुछ हद तक समानता हो सकती है, लेकिन इसका बच्चों की सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।

यदि दोनों का Rh फैक्टर समान है (जैसे Rh+ या Rh-), तो गर्भावस्था में Rh इन्कॉम्पैटिबिलिटी जैसी समस्याओं का खतरा नहीं रहता।

एक ही ब्लड ग्रुप होने पर मानसिक और भावनात्मक तालमेल बेहतर होने की संभावना मानी जाती है, हालांकि यह पूरी तरह वैज्ञानिक नहीं है।

समान ब्लड ग्रुप वाले लोगों में कुछ विशेष बीमारियों का जोखिम एक जैसा हो सकता है, जैसे ब्लड क्लॉटिंग या संक्रमण।

बच्चों के ब्लड ग्रुप की संभावना सीमित होती है, जिससे परिवार में ब्लड डोनेशन की संगतता बढ़ जाती है।

कई जगह इसे शुभ माना जाता है, लेकिन यह वैज्ञानिक आधार पर सत्यापित नहीं है।

Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें

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