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कौन है मां शैलपुत्री, क्या है उनका महत्व, जानें कैसे करें मां की अराधना

आज नवरात्रि का पहला दिन है और आज के दिन मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा था। वही पौराणिक कहानियों के अनुसार पूर्ण जन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और यह भगवान शिव की पत्नी थी।

सती के अपने पिता द्वारा अपमानित होने के बाद उन्होंने अपने शरीर को यज्ञ अग्नि में भस्म कर दिया था और अगले जन्म में शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुई और फिर उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया।

क्या है मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

नवरात्रि में मां शैलपुत्री के पूजन करने से घर से संकट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इसके साथ ही इनकी पूजा में पान के पत्ते पर लोंग, सुपारी, मिश्री रखकर अर्पण करने से जीवन की हर इच्छा पूर्ण होती है। वही मां शैलपुत्री के पूजन से अनेकों सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं।

नवरात्रि के प्रथम दिन का पूजन

नवरात्रि में सुबह शाम दोनों समय पूजा करना अनिवार्य होता है। नवरात्रि में दोनों समय की आरती अति आवश्यक है। पहले नवरात्र पर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या फिर चित्र लकड़ी के पट्टे पर रखकर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करना चाहिए।

मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र बहुत प्रिय होते हैं इसलिए उनके पूजन के समय सफेद फूल और सफेद वस्त्र पहन के पूजन किया जाए तो अति शुभ माना जाता है। इसके साथ ही शैलपुत्री को सफेद बर्फ का भोग लगाएं और साबुत पान के पत्ते पर 27 लोग रखें और उन्हें अर्पित करें।

इसके बाद मां के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और माता के मंत्र का उच्चारण करें जो है (ॐ शैलपुत्रये नमः) इस मंत्र का 108 बार उच्चारण करें जाप करने के बाद सभी लोंग को एक कलावे में बांधकर माला के स्वरूप में धारण करें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी।

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