बजट बनाने वाले अफ्सरों को कैद में क्यों रखा जाता है?
केंद्रीय मंत्री वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 11 बजे बजट पेश किया और कई घोषणाएं कर दीं। ये उनके कार्यकाल का आठवां बजट था।
बजट को तैयार करने से लेकर इसे देश के सामने पेश करने तक काफी गुप्त तरह से रखा जाता है बल्कि बजट बनाने वाले व्यक्तियों को भी कैद में भी रखा जाता है।
साल 1947 और 1950 में केंद्रीय बजट लीक हो गया था, तब से ही इसे काफी गुप्त तरीके से रखा जाता है।
बजट बनाने वाले अफ्सरों को नोर्थ ब्लॉक में एक दफ्तर में करीब 10 दिनों तक लॉक-इन पीरियड में रखा जाता है।
सभी अफ्सरों को पुलिस और सुरक्षा एजेंसी की कड़ी निगरानी में दिन रात रखा जाता है।
इस दौरान कोई भी कर्मचारी अपने परीवार से नहीं मिल पाता हैं, यहां तक कि इमरजेंसी में भी एक खास नंबर पर मैसेज किया जाता है।
उस समय अधिकारियों से सिर्फ वित्त मंत्री को मिल सकती है, वित्त मंत्रालय के अफ्सरों के साथ कानून मंत्रालय के कानुनी विशेषज्ञों को भी लॉक किया जाता है।
साथ हीं, सीबीडीटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारी भी बंद किया जाता हैं, ऐसे में सभी विभाग के कर्मचारी मिलकर बजट बनाते है।
बजट प्रिंटिंग के लिए वित्त मंत्रालय के ही 100 से भी अधिक अफ्सर बजट प्रेस में दिन-रात काम करते है और संसद में पेश होने से 24 घंटे पहले इसे प्रिंट किया जाता है।