सूर्यदेव ने अपने सभी पुत्रों को उनकी योग्यता के अनुसार अलग-अलग लोकों का स्वामी बना दिया। इस बंटवारे से शनिदेव खुश नहीं थे।
जिसके बाद शनिदेव ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर उस लोक पर अधिकार कर लिया जो उन्हें नहीं मिला था।
जब सूर्यदेव को इस बात का पता चला तो वे शनिदेव के कृत्य से बहुत दुखी हुए।
जिसके बाद सूर्यदेव मदद मांगने भगवान शिव के पास पहुंचे।
सूर्यदेव की बात सुनकर शिव जी ने अपने अनुयायियों को शनिदेव से युद्ध करने के लिए भेजा।
शक्तिशाली शनि ने सभी को परास्त कर दिया। जिसके बाद शिव जी को खुद युद्ध के मैदान में जाना पड़ा।
दोनों के बीच भीषण युद्ध चल रहा था। इसी बीच शनि ने शिव जी पर घातक दृष्टि डाली।
जैसे ही शिव ने देखा कि शनिदेव ने घातक दृष्टि का प्रयोग किया है तो उन्होंने तुरंत अपनी तीसरी आंख खोली।
तीसरी आंख खुलते ही शनिदेव हैरान रह गए और उनका अहंकार टूट गया।
शनिदेव को दण्डित करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें 19 वर्षों तक पीपल के पेड़ पर उल्टा लटका दिया था।