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क्यों अपने ही पति सूर्य देव को दे बैठी थी ये श्राप, जाने पूरी कहानी

सूर्यदेव का विवाह विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ था,लेकिन संज्ञा सूर्यदेव के तेज को सहन नहीं कर पाती थी।

इसलिए उन्होंने अपनी ही छाया को सूर्यदेव की पत्नी के रूप में स्थापित कर, वह तप करने चली गईं।

परन्तु सूर्य देव को इस बात की भनक तक नहीं लगी और सूर्यदेव लंबे समय तक छाया को ही अपनी पहली पत्नी समझा ।

छाया से सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव  का जन्म हुआ। शनि के रंग काले के कारण सूर्यदेव उन्हें पसंद नहीं करते थे।

जिस कारण सूर्यदेव ने शनिदेव उनकी माता छाया से अलग कर दिया। 

पुत्र वियोग मे दुखी छाया ने सूर्यदेव को कुष्ट रोगी होने का श्राप दे दिया और उपके बाद सूर्य कुष्ट रोग से पीड़ित हो गए।

आपको बता दे कि तब सूर्य देव की दूसरी पत्नी के पुत्र यमराज ने अपने तप से पिता को वापिस से स्वस्थ कर दिया था।

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