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महाभारत के युद्ध में विदुर क्यों नहीं हुए थे शामिल?

महाभारत के युद्ध में विदुर ने हिस्सा नहीं लिया  क्योंकि वे धर्म, नीतिशास्त्र और नैतिकता के प्रति पूरी तरह समर्पित थे।

आपको बता दे कि विदुर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री थे, वे कौरवों के साथ हो कर भी युद्ध नहीं लड़ना चाहते थे। विदुर धर्म का पालन करना चाहते थे और  कुरु वंश को अनावश्यक विनाश से बचाना चाहते थें।

विदुर के युद्ध में शामिल न होने के पीछे हाथ दुर्योधन का था, पर इसके पिछे भगवान श्री कृष्ण थे।

आपको बता से जब भगवान श्री कृष्ण शांति का प्रस्ताव ले कर हस्तिनापुर जाते है तो उनका स्वागत बहुत अच्छे से होता है,परंतु जब रात में सोने के बात होती है तो, श्री कृष्ण दुर्योधन का महल छोड़ विदुर के घर की सोने चले जाते हैं। 

ये देख क्रोधित दुर्योधन विदुर का अपमान करने लगता है। तब दुर्योधन प्रस्ताव रहता है कि विदुर कौरवों का साथ न दे कर पांडवों के साथ युद्ध लड़े और उनके साथ विश्वासघात करे।

और साथ मे दुर्योधन ने  विदुर का अपमान करते हुए बोलते हैं कि वो उन पर विश्वास नहीं करता है।

ये सुनने के बाद विदुर ने बोला कि मेरे पर विश्वासघात का आरोप लगाया गया है,वो बोलते है कि उनका राजा उन पर विश्वास नहीं करता इसलिए अब वो युद्ध में हिस्सा नहीं लेंगे।

और क्रोध में भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया धनुष तोड़ देते है।

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