A view of the sea

अपनी मां को देखते ही क्यों बदल जाता है नागा साधु का भयानक रूप?

सनातन के लिए अपने प्राणों की आहुति देना ही नागाओं के जीवन का उद्देश्य होता है।

अपना पिंडदान करने वाले नागा सनातन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

आखिर क्यों नागा साधु जब शाही स्नान का हिस्सा बनते हैं तो उनके हाव-भाव अचानक बदल जाते हैं?आइए जानते है।

बता दे कि, नागा साधु गंगा को अपनी ‘मां’ मानते हैं। 

जब नागा साधु  गंगा के करीब पहुंचते हैं, तो उनके हाव-भाव में अपनी मां से मिलने की उत्सुकता साफ दिखाई देती है।

यह एक ऐसा क्षण होता है जिसे आध्यात्म की पराकाष्ठा कहा जाता है।

बच्चों का अपनी माँ से मिलने का यह क्षण कई सालों बाद आता है, इसीलिए उनके हाव-भाव बदल से जाते हैं। 

शाही स्नान से पहले नागाओं के जो हाव-भाव  दिखते हैं, वे असल मे मौज-मस्ती वाले होते हैं।

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