उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां जमकर हो रही है, महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है और हिंदू धर्म में इसे बहुत पवित्र माना जाता है।
प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर इसका आयोजन होता है। लेकिन क्या आपको पता है महाकुंभ का आयोजन 12 साल बाद ही क्यों होता है और इसकी क्या मान्यता है?
आइए आपको बताते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाकुंभ समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ हैं, उस समय देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए युद्ध हुआ था और इसी दौरान इंद्र भगवान के पुत्र जयंत अमृत कलश को लेकर भाग गए।
और 12 दिनों तक देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई चली। माना जाता है कि अमृत कलश से कुछ बुंदे धरती पर गिरी।
और यह बूंदें 4 स्थानों पर गिरी- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और हरिद्वार।आज इन्हीं 4 स्थानें पर कुंभ मनाया जाता हैं।
आपको बता दे कि जयंत को अमृत कलश लेकर स्वर्ग पहुंचने में कुल 12 दिन लग गये थे।
देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक साल के समान होता है।और देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन का युद्ध 12 दिनों तक चला था, जो मनुष्य के अनुसार 12 साल के बराबर है ।
यहीं वजह है कि महाकुंभ का आयोजन 12 वर्ष के बाद किया जाता हैं , 2017 में कुंभ मेले को UNESCO ने ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ का दर्जा दिया था।