महिलाओं को समाज में समानता, सुरक्षा और सम्मान के अधिकार प्राप्त हो सकें, इसलिए International Women's Day मनाया जाता है।
हमारे समाज में कई रोल ऐसे हैं, जो महिलाओं और पुरुषों के लिए बंटे हुए हैं। कुछ खास रंगों को भी पुरुषों और महिलाओं के लिए बांट दिया गया है।
कई लड़के पिंक रंग के कपड़े पहनने से कतराते हैं क्योंकि उनका मानना है कि गुलाबी रंग सिर्फ लड़कियां ही पहनती हैं और वो अपना मजाक नहीं बनवाना चाहते, लेकिन यह सोच आई कहां से।
पिंक था लड़कों का रंग आज की तरह पहले के समय में पिंक कलर को लड़कियों से नहीं बल्कि लड़कों से जोड़कर देखा जाता था।
जी हां, प्रथम विश्व युद्ध से पहले पश्चिमी देशों में बच्चों को सफेद रंग के कपड़े पहनाए जाते थे। इस समय बच्चों से जोड़कर किसी रंग को नहीं देखा जाता था।
धीरे-धारे डाई प्रचलन में आने लगे और बच्चों के कपड़ों पर पेस्टल रंगों का इस्तेमाल किया जाने लगा। इस कारण से बच्चों के कपड़ों में गुलाबी और नीले रंगों को शामिल करना शुरु किया गया।
उस समय कई जगहों पर गुलाबी रंग को लड़कों के लिए ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था। ऐसा माना जाता था कि गुलाबी दृढ़ निश्चयता और पुरुषत्व का रंग होता है, जो लड़कों को ज्यादा सूट करेंगे।
वहीं नीले रंग को काफी नाजुक समझा जाता था और सुंदरता से जोड़कर देखा जाता था। इसलिए इस रंग को लड़कियों के लिए ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था।
कैसे बना पिंक लड़कियों का रंग? बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में दुकानदारों ने कपड़ों और खिलौनों को बेचने के लिए उन्हें लिंग से जोड़कर, रंगों के हिसाब से बेचना शुरू कर दिया।
इस समय भी कई जगहों की दुकानें गुलाबी को लड़कों के लिए और नीला लड़कियों के लिए इस्तेमाल कर रहे थे, तो कुछ जगहों पर पिंक लड़कियों के लिए और ब्लू लड़कों के लिए प्रयोग किया जा रहा था।
गुलाबी को लड़कियों का रंग बनाने के पीछे दो मशहूर पेंटिंग्स का हाथ है। ये पेंटिंग्स, द बॉय और पिंकी। जिसमें एक लड़के ने नीले रंग के कपड़े पहने थे और लड़की ने गुलाबी रंग के कपड़े पहने थे।
इसके बाद से गुलाबी रंग को धीरे-धीरे महिलाओं से जोड़कर देखा जाने लगा और लड़कों के लिए नीले रंग के कपड़ों का इस्तेमाल किया जाने लगा।