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Calcutta High Court: कोर्ट में अचानक बेहोश हुआ सहायक रजिस्ट्रार, शिवलिंग हटाने के आदेश को कर रहा था रिकार्ड, न्यायधीश ने बदला फैसला

Shubham Pathak • LAST UPDATED : August 9, 2023, 2:15 am IST

India News (इंडिया न्यूज़),Calcutta High Court: पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। जहां कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीश के शिवलिंग हटाने का फैसला रिकॉर्ड करते वक्त सहायक रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए। जिसके बाद सहायक रजिस्ट्रार को अदालत के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। वहीं सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात ये है कि, सहायक रजिस्ट्रार को बेहोश होता देख कुछ देर बाद न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने अपना फैसला बदलते हुए कहा कि, कोर्ट मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। यह मामला निचली अदालत में सिविल केस के माध्यम से चलाया जाएगा। बता दें कि, अभीतक के जांच के दौरान सहायक के बेहोश होने का कारण नहीं पता चल पाया है।

जानिए क्या है पूरा मामला

मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, मुर्शिदाबाद के बेलडांगा के खिदिरपुर निवासी सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच जमीन के लेकर विवाद चल रहा है। इसी साल मई में जमीन विवाद में दोनों में जमकर मारपीट हुई थी। बेलडांगा थाने में दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। निचली अदालत से दोनों को जमानत मिल गई। जिसके बाद में पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया। कुछ दिन बाद विवाद में उस समय नया मोड़ ले लिया जाब गोविंद मंडल पर विवादित जमीन पर एक शिवलिंग रखने का आरोप लगा। इसके खिलाफ सुदीप थाना पहुंचा और शिवलिंग हटाने की मांग की। लेकिन आरोप है कि, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद सुदीप पाल ने कलकत्ता हाईकोर्ट में पुलिस की निष्क्रियता का मामला दायर किया।

जानिए क्या हुआ कोर्ट रुम के अंदर

बता दें कि, दोनों भाई के बीच हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि, सोमवार को न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने गोविंद मंडल के वकील से पूछा कि आपके मुवक्किल ने विवादित जमीन पर शिवलिंग क्यों स्थापित किया? इस पर गोविंद के वकील मृत्युंजय चटर्जी ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने शिवलिंग नहीं स्थापित किया बल्कि यह स्वयं जमीन से उभरा है। इसके बाद न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने इसे हटाने का निर्देश दिया। इसके बाद न्यायाधीश का फैसला रिकॉर्ड करते समय अचानक से सहायक रजिस्ट्रार बिश्वनाथ राय बेहोश हो गए। उन्हें कलकत्ता उच्च हाईकोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। इसके बाद न्यायाधीश अदालत कक्ष से बाहर चले गए।

 

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