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इंडिया न्यूज, अंबाला:
Shradh: हमारे समाज में श्राद्ध की काफी अहमियत है। खास करके हिंदु समाज में। ये श्राद्ध 20 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इसमें पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पन किया जाता है। माना जाता है कि इससे पितर प्रसन्न होकर अपनी संतान को आशीर्वाद देते हैं। हिंदू धर्म में श्राद्ध को जरूरी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर मरने के बाद व्यक्ति का श्राद्ध न किया जाए, तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती। हमारे पितृ कई प्रकार के होते हैं। एक जिन्हें मरने के बाद दूसरा जन्म मिल जाता है और बहुतों ने पितृलोक में स्थान प्राप्त कर लिया। जो पितर पितृलोक में स्थान प्राप्त कर चुके हैं वो हर साल पितृ पक्ष में अपने वंशजों को देखने आतं हैं। और उस वक्त वे उन्हें आशीर्वाद या श्राप देकर चले जाते हैं। ऐसे में पितरों का आशीर्वाद पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए इन उपायों को ध्यान रखना जरूरी है।
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श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध कर्म अच्छे से करने चाहिए। श्राद्ध के दिनों में नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही गरीबों या जरूरतमंदों को दान दें। पितृ पक्ष में तिलों को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने से हुई है। साथ ही ये भी मान्यता है कि इनसे श्राद्ध करने पर पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
पितृ पक्ष के दौरान तिल के साथ चावल का प्रयोग भी जरूरी होता है। कहा जाता है कि पितरों के लिए सबसे प्रथम भोज चावल होता है। चावल को मिलाकर ही पिंड बनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि चावल से बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान कौवों और चीटियों को रोज खाना डालना चाहिए। मान्यता है कि हमारे पूर्वज कौवों के रूप में धरती पर आते हैं। केसर और चंदन का टीका लगवाना चाहिए। हो सके तो घर का वास्तु भी ठीक करवाना चाहिए।
पितृ पक्ष के पहले दिन से पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। जल में जौ, काले तिल और एक लाल फूल डालकर दिन के समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके देना चाहिए। कहा जाता है कि इससे पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही इससे पितृ दोष भी दूर होता है।
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