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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों (Australia Signed Nuclear Submarines Deal) के लिए नई डील की है। इस AUKUS डील को लेकर फ्रांस बेहद नाराज है और इसे पीठ में छूरा घोंपना तक करार दे दिया है। फ्रांस की सरकार का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया ने उसके साथ अरबों डॉलर की डील खत्म करके उसे धोखा दिया है। फ्रांस ने अपने राजदूतों को अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से वापस बुला लिया जो आधुनिक इतिहास में शायद पहली बार किया गया है। यह समझना अहम हो जाता है कि आखिर फ्रांस किस वजह से नाराज है?
फ्रांस दुनियाभर में हथियारों को एक अहम एक्सपोर्टर है और डील रद्द होने से उसके रक्षा क्षेत्र को बड़े आर्थिक झटके का खतरा है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के ये डील तोड़ने से फ्रांस को लगभग 65 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। ये डील डीजल चालित पनडुब्बियों के लिए की गई थी।
स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) के मुताबिक साल 2010 से 2020 के बीच ऑस्ट्रेलिया हथियारों का चौथा सबसे बड़ा आयातक था जबकि फ्रांस उसे हथियार पहुंचाने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश था। फ्रांस से ऑस्ट्रेलिया को 6% हथियार जाते थे। वह मुख्य रूप से ट्रांसपोर्ट, कॉम्बैट हेलिकॉप्टर और टॉपीर्डो मुहैया कराता था।
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए गुपचुप समझौते से फ्रांस बेहद गुस्सा है, खासकर अमेरिका से। फ्रांस को उम्मीद थी कि समझौते से ऑस्ट्रेलिया के साथ उसकी नजदीकी बढ़ेगी। एक अहम रक्षा समझौते के रद्द होने से यूरोप की आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं ताकि अमेरिका पर निर्भरता को कम किया जा सके। फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मैन्युअल मैक्रों पहले भी इसे लेकर संकेत दे चुके हैं।
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