संबंधित खबरें
DM साहब के पीछे तलवार लेकर दौड़ी जूना अखाड़े की साध्वी, पीछे का रास्ता पकड़ने को मजबूर हुए कलेक्टर, देखें ड्रामे का पूरा वीडियो
गंदी हवा से मर रही दिल्ली…लाशें खा रहीं शुद्ध हवाएं? श्मशान घाट का AQI देखकर भगवान भी हैरान रह जाएंगे
मंदिर में घुस गया मुस्लिम जोड़ा, चुपके से पढ़ा निकाह, मियां-बीवी की इस हरकत से मच गया बवाल
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार ने लिया बड़ा फैसला, 50% कर्मचारियों को करना होगा ये काम
महाराष्ट्र में 288 सीटों पर मतदान आज, थोड़ी देर में शुरू होगी वोटिंग, PM मोदी ने की ये खास अपील
प्रधानमंत्री बनने से पहले ही इंदिरा ने ले लिया था ऐसा फैसला, पंडित नेहरू की लोकतांत्रिक छवि हुई थी धूमिल, पति फिरोज ने बता दिया फासीवादी
गोपेंद्र नाथ भट्ट, नई दिल्ली :
Punjab Assembly Election 2022 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चमत्कारी नेतृत्व और उत्तर प्रदेश में उनके योगी है उत्तरप्रदेश के लिएउपयोगी के नारे तथा आर एस एस के साथ भाजपा के मजबूत साथ ने होली से पहले देश को एक बार फिरभगवा रंग में रंग दिया है। उत्तर प्रदेश में किसी मुख्यमंत्री के सत्ता में पुनः लोटने का करिश्मा सेतीस वर्षों के बादसम्भव हो पाया है।
देश में जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश सहित चार अन्य प्रदेशों उत्तराखंड, मणिपुर औरगौवा के विधानसभा चुनावों में पुनः भाजपा की सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त होने से प्रधानमंत्री मोदी द्वाराचुनाव प्रचार के दौरान कहीं उस बात को साकार कर दिया है कि देश इस बार दस दिन पहले ही होली कात्योहार मनायेगा। इसका नज़रा गुरुवार को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी औरकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लखनऊ में मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी के स्वागत समारोह में देखनेमिला।
उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गौवा आज जहां भगवा रंग में रंग गए वहीं पंजाब में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पार्टी ‘आप’ ने कांग्रेस, अकाली, भाजपा अमरेन्द्र सहित सभी पार्टियों को झाडू लगा दिया है। हालाँकि अनुमान के विरुद्ध उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मोर्या की पराजय ने सभी को ज़रूर चौकायां है।
इन चुनावों में सबसे बड़ी दुर्गति कांग्रेस की हुई है। पंजाब में तो केजरीवाल की आप पार्टी की सुनामी में मुख्यमंत्री चरण जीत चन्नी, प्रदेश अध्यक्ष नवजौत सिंह सिद्धू औरपूर्व मुख्यमंत्री केप्टिन अमरेन्द्र सिंह एवं प्रकाश सिंह बादल तथा सुखबीर सिंह जैसे बड़े बरगद ढह गए है ।पंजाब में राजस्थान के दो बड़े क्षत्रप केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और राजस्थान केराजस्व मंत्री से इस्तीफ़ा देकर पंजाब में कांग्रेस का प्रभारी बने हरीश चौधरी दोनों फेल रहें है और वहाँ उनकी पार्टियों को मिली हार से उनका राजनीतिक क़द प्रभावित होने के आसार है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हालिया चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू अभी भी बरकरार है और पार्टी में उनकी छवि सर्वोपरी बन गई है तभी उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी मुस्लिम, जाट और किसानों का मज़बूत गठबन्धन बनाने में कामयाब नहीं हो सकी। साथ ही मायावती की माया भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी। लोगों का अनुमान था कि एक वर्ष से अधिकसमय तक चले किसान आन्दोलन के फलस्वरूप मोदी सरकार को अपने तीनों कृषि विधेयक वापस लेने पड़े ।
इस कारण किसान आन्दोलन का अंडर करंट योगी सरकार की चूलें हिला देगा लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनावपरिणामों ने इस धारणा को नकार दिया है। इसी प्रकार चुनाव से पहलें केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जाटनेताओं के साथ बैठक करने की रणनीति सफल रही है। लगता है कि इस बार यूपी में क़ानून व्यवस्था का मुद्दाअन्य सभी मुद्दों जैसे किसान आंदोलन,बेरोज़गारी एवं महंगाईआदि सभी मुद्दों पर हावी रहा अथवा यूँ कहें किमोदी का गुजरात मोडल और हिन्दुत्व की प्रबल धारा एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में सफल रही है। इसमें योगीसरकार के सख़्त कदमों और सुशासन का अहम योगदान भी कम नही रहा है।
उत्तर प्रदेश को भाजपा और मोदी सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह प्रदेश सबसेज्यादा 80 सांसद लोकसभा में भेजता है। इसलिए विधानसभा चुनाव में पार्टी के ज़बर्दस्त प्रदर्शन का 2024 के आम चुनाव पर असर पड़ने की पूरी उम्मीद है। इस जीत से राज्यसभा में भी भाजपा का वर्चस्व बढ़ेगा।
इधर कांग्रेस ने हमेशा की तरह अपने पेरों पर ही कुल्हाड़ी मारने का काम किया है तभी देश की सबसे पुरानीयह पार्टी अपने अंतरकलह के स्याह सागर में डूब रही है। कांग्रेस ने अपने आत्म घाती कदमों से पंजाब जैसेमजबूत प्रदेश को केजरीवाल की मुफ़्त योजनाओं का शिकार बना दिया। इसी तरह उत्तराखंड में भी जहांबीजेपी ने पाँच सालों में तीन मुख्यमंत्री बदल दिए वहाँ भी वे एंटी इनकम्बेंसी का कोई फ़ायदा नही उठा पाए। कांग्रेस मणिपुर और गौवा में पिछली बार सरकार बनाने की स्थिति में थी लेकिन भाजपा उनके मूँह से निवालाछीन के ले गई थी और इस बार फिर सत्ता पर क़ाबिज़ हो रही है।
कांग्रेस ने पंजाब, उत्तराखंड, गौवा आदि प्रदेशों में विजयी रहने अथवा सबसे बड़ी पार्टी होने की उम्मीद में अपने विजयी विधायकों की राजस्थान में बादेबंदी की तैयारी की थी लेकिन चुनाव परिणामों से यह तैयारियाँ धरी की धरी नही रह गई। विजयी रथ पर सवार भाजपा को इस वर्ष के अंत में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह प्रान्त गुजरात सहितहिमाचल प्रदेश और उसके बाद कर्नाटका आदि प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव लड़ने है फिर आम चुनावोंसे ठीक पहले 2023 में कांग्रेस शासन वाले राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अलावा कांग्रेस को सत्ताच्युत करसत्ता में आई भाजपा के मध्य प्रदेश में भी चुनाव लड़ने है ।
भाजपा का विजयी ब्रांड बने हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके साथी यह चाहेंगे कि उनका अश्वमेघी रथकही रुके बिना भारत के मानचित्र को भगवा रंग से सराबोर करें। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत को साकार करने के लिए है बहुत बेकरार हैऔर उसका दावा है कि आने वाले समय में यह साबित होने वाला है। वहीं कांग्रेस का दावा है कि तानाशाही और फासिस्टवाद पर चल रही भाजपा
भारत को कांग्रेस मुक्त तो कभी नही कर पायेंगी वरन आने वाले वक्त में देश उनसे ज़रूर मुक्त होगाहालाँकि अभी इसके आसार नही दिख रहें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा मुख्यालय पर गुरुवार शामयह कह कर कि देश में परिवारवादी पार्टियों के युग की समाप्ति शुरू हो गई है,ने 2024 के आम चुनावों मेंकांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों में अभी से सेंध लगाने की भूमिका लिख दी है।
Also Read : Punjab Assembly Election Result 2022 केजरीवाल ने फोटो शेयर कर दी बधाई
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.