इंडिया न्यूज, डा. अनीष व्यास।
Durgashtami 2022 : नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा का विधान है। इस बार ये शनिवार 9 अप्रैल को है। ये देवी महागौरी का दिन है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी विशेष दिन होते हैं। इन दिनों में कन्या भोजन और देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा और हवन करवाए जाते हैं।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि माकंर्डेय पुराण में अष्टमी तिथि को देवी पूजा का महत्व बताया गया है। जिसके मुताबिक अष्टमी पर देवी पूजा करने से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है और घर में कभी दरिद्रता भी नहीं आती।
नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि पर एक भी तिथि का क्षय न होने के कारण नवरात्रि नौ दिनों की पड़ रही है। जिसके कारण इस साल अष्टमी 9 अप्रैल को मनाई जाएगी। कुछ लोग अष्टमी तिथि को ही कन्या पूजन के साथ व्रत पारण करते हैं। जबकि कुछ लोग राम नवमी के दिन कन्या पूजन करके व्रत पारण करते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के आठवें दिन को अष्टमी तिथि कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा का विधान है। इस साल अष्टमी तिथि शनिवार 9 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन कन्या पूजन के साथ हवन करके व्रत पारण किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्ल पक्ष अष्टमी 8 अप्रैल को रात 11:05 मिनट से शुरू होगी, जो कि 10 अप्रैल को सुबह 1:24 मिनट पर समाप्त होगी। अभिजीत मुहूर्त 9 अप्रैल को दोपहर 12:03 मिनट से 12:53 मिनट तक रहेगा। अमृत काल 9 अप्रैल को सुबह 1:50 मिनट से 3:37 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:39 मिनट से सुबह 5:27 मिनट तक रहेगा।
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दिन का शुभ मुहूर्त 11:58 मिनट से 12:48 मिनट तक है। इस समय कन्या पूजन किया जा सकता है।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि किसी कारण से इस दिन कन्या पूजन न भी कर पाएं तो बाद में भी किया जा सकता है। Durgashtami 2022
इसके लिए अष्टमी पर कन्या पूजन का संकल्प लें। जिसमें इस बात का जिक्र करें कि आने वाली किसी भी अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करेंगे। किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्या का पूजन कर भोजन करवाया जाए तो देवी प्रसन्न होंगी। साथ ही इस अष्टमी पर किसी भी जरूरतमंद को खाना खिलाया जा सकता है।
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए।
इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में अष्टमी तिथि को बलवती और व्याधि नाशक तिथि कहा गया है। इसके देवता शिवजी हैं। इसे जया तिथि भी कहा जाता है।
नाम के अनुसार इस तिथि में किए गए कामों में जीत मिलती है। इस तिथि में किए गए काम हमेशा पूरे होते हैं। अष्टमी तिथि में वो काम करने चाहिए जिसमें विजय प्राप्त करनी हो। शनिवार को अष्टमी तिथि का होना शुभ माना जाता है। वहीं श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर ही हुआ था।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अष्टमी तिथि पर अनेक प्रकार के मंत्रो और विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस दिन मां दुर्गा से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, विजय, आरोग्यता की कामना करनी चाहिए।
मां दुर्गा का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्ट और हर तरह के दु:ख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। Durgashtami 2022
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