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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।
Big Relief For Farmers : नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद (Ramesh Chand) ने बताया कि नीति आयोग गाय के गोबर के व्यावसायिक इस्तेमाल और किसानों के लिए बोझ बनने वाले छुट्टा पशुओं से जुड़े विभिन्न मसलों को हल करने के लिए एक कार्ययोजना पर काम कर रहा है। हम गोशाला अर्थव्यवस्था में सुधार करने के इच्छुक हैं। आयोग ने आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल आफ एप्लाइड इकोनमिक रिसर्च (NCAER) को गौशाला अर्थव्यस्था पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी कहा है, ताकि उसका व्यावसायिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद (Ramesh Chand) ने कहा कि हम सिर्फ यह देख रहे हैं कि गौशाला अर्थव्यवस्था में सुधार की क्या संभावनाएं हैं। हम इस संभावना को देख रहे हैं कि क्या हम गौशाला से प्राप्त होने वाले सह-उत्पादों यानी गोबर से कुछ आमदनी हासिल कर सकते हैं या इसका मूल्यवर्धन कर सकते हैं। चंद के नेतृत्व में सरकारी अधिकारियों की एक टीम ने वृंदावन (Uttar Pradesh), राजस्थान और भारत के अन्य हिस्सों में बड़ी गौशालाओं का दौरा किया और उनकी स्थिति का आकलन किया। उन्होंने बताया कि शायद 10 प्रतिशत या 15 प्रतिशत गाएं थोड़ी मात्रा में दूध देती हैं। लेकिन यह श्रम, चारा और उपचार की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
नीति आयोग में कृषि नीतियों की देखरेख करने वाले रमेश चंद (Ramesh Chand) ने कहा, गाय के गोबर का इस्तेमाल बायो-सीएनजी (Bio-CNG) बनाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए हम इस तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने गोबर से बायो-सीएनजी (Bio-CNG) के उत्पादन के फायदे पर प्रकाश डाला। कहा कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के बजाय हम इसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करेंगे, जो लाभ भी देगा। प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद (Ramesh Chand) ने कहा कि अवांछित मवेशियों को खुले में छोड़ना भी फसलों के लिए हानिकारक है। इसलिए हम गौशाला अर्थव्यवस्था पर काम कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) के समय अपने मालिकों द्वारा छुट्टा छोड़ दिए गए पशुओं की समस्या चर्चा का विषय रही थी। विपक्षी दलों की ओर से इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने राज्य में छुट्टा पशुओं की समस्या को दूर करने का भरोसा दिया था। उन्होंने अपनी जनसभाओं में कहा था कि 10 मार्च को दोबारा सरकार बनने पर इस संकट को दूर किया जाएगा। ऐसा इंतजाम किया जाएगा, जिसके तहत गोबर से भी पशुपालकों की कमाई हो। पूरे उत्तर प्रदेश में बायोगैस प्लांट का नेटवर्क भी बनाया जा रहा है।
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