What Is The Cause Of Concern In Children: कई बार बच्चे भी किसी बात को लेकर दुखी होते हैं या फिर चिंतित होते हैं अपने किसी दोस्त की बात पर। यह सब बातें सुनकर आप उसे अनदेखा भी कर देते हैं। लेकिन खुद सोचिए चिंता (tension news) शब्द जितना छोटा है उससे कहीं ज्यादा घातक भी होता है। चिंता की वजह से कई बार लोगों की जान चली जाती है। बता दें बुजुर्गों में होने वाली चिंता अब बच्चों में भी दिखने लगी है। इस बात पर पहली बार अमेरिकी विशेषज्ञों की टास्क फोर्स ने 8 से 18 साल तक के बच्चों के बिगड़ते मेंटल हेल्थ को देखते हुए उनकी स्थिति जांचने की बात सामने रखी है। तो आइए जानते हैं बच्चों में चिंता की वजह क्या है।
बच्चों में चिंता का क्या कारण है?
डॉक्टरों के मुताबिक कई ऐसी बातें हैं, जो आपको दिखने में छोटी लगती हैं, लेकिन बच्चों के कोमल मन-मस्तिष्क में गहरा असर छोड़ जाती हैं। इनमें से कुछ ऐसी बाते भी हैं। जैसे-माता-पिता का बच्चों को समय न दे पाना। क्लास में कम मार्क्स लाने का डर सताना। पेरेंट्स का झगड़ा और अलग होने का डर। घर का नेगेटिव माहौल रहना। बच्चों को बार-बार डांटना या मारना। (What is depression)
अगर बच्चा चिंतित है तो क्या करें? (What Is The Cause Of Concern In Children)
- इस बात पर फोर्टिस हॉस्पिटल के मेंटल हेल्थ और बिहेवियरल सांइस के डायरेक्टर का कहना है कि अगर बच्चों में चिंता के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे हल्के में लेना छोड़ना दें। क्योंकि माता पिता को बच्चों की बात को गंभीरता से सुनना होगा। अगर बच्चा कुछ कहना चाह रहा है तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
- इसी तरह अगर बच्चे के व्यवहार में कोई बदलाव दिख रहा है तब भी उसे गंभीरता से लें, उससे बात करें। अगर बच्चा ज्यादा चिंता में है तो माता-पिता को पीडियाट्रिक (बाल रोग विशेषज्ञ) या किसी दूसरे प्राइमरी देखभाल वाले डॉक्टर से बात करनी चाहिए। क्योंकि लगातार चिंता करने से बच्चा किसी डिसआॅर्डर का शिकार हो सकता है।
चिंता में बीत रहा है बचपन
- आपको बता दें कि कोरोना ने इस समस्या को बढ़ा दिया है। बाल मनोवैज्ञानिक अनुसार बच्चों में चिंता बचपन की सबसे आम मानसिक गड़बड़ी बनकर सामने आई है। इसके लिए जल्द से जल्द जांच करनी होगी। ज्यादातर बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत है, जो उन्हें इस समय मिल नहीं रही।
- जी हां, अमेरिकी टास्ट फोर्स ने सिफारिश की है कि बच्चों में लक्षण दिखें या न दिखें, हर बच्चे के मेंटल हेल्थ की जांच करनी चाहिए। बच्चों का जीवन अस्त-व्यस्त हो, उससे पहले उसमें दखल देना चाहिए।
- एक रिपोर्ट मुताबिक, बच्चे अगर बचपन से चिंता करने लगते हैं तो आगे चलकर वो डिप्रेशन में जा सकता हैं। इतना ही नहीं इससे बच्चे की नशे की लत भी लग सकती है।
स्टडी में हुआ ये खुलासा (What Is The Cause Of Concern In Children)
- दुनियाभर में की गई एक स्टडी अनुसार, डिप्रेशन के शुरूआती लक्षण 17 साल की उम्र में दिखाई देते हैं, लेकिन इन दिनों डिप्रेशन की पहचान शुरूआती उम्र में ही समझ आने लगी है। ज्यादा से ज्यादा जांच करने की वजह से ये चीजें समझ आ रही है।
- बच्चे के लिए कंस्ट्रक्टिव काम करें। वहीं फोर्टिस एस्कॉर्ट्स इंस्टीटूट एंड रिसर्च सेंटर मुताबिक अगर अपना समय थोड़ा क्रिएटिव काम में लगा लिया जाए तो काफी हद तक चिंता दूर हो सकती है। इसलिए पॉजिटिव बातों को ज्यादा जगह दें और नेगेटिव को दूर कर दें। जैसे-सुबह जल्दी उठाएं। मेडिटेशन करवाएं। घर का खाना खिलाएं। खाने में जूस जरूर दें। पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर न दें। डांस या म्यूजिक जैसी एक्टिविटी करवाएं।
कैसे पहचाने की बच्चा चिंता कर रहा?
बच्चे का लगातार चिड़चिड़ापन और गुस्सा आना। लगातार दुख या निराशा रहना। दूसरों से ज्यादा बात न करना। अचानक डर या सहम जाना। नींद कम या ज्यादा आना। अकेले बैठकर रोने लगना। हर समय सिरदर्द रहना। कम या ज्यादा भूख लगना। किसी भी काम में मन नहीं लगना।
बच्चे को कब पड़ती हैं ट्रीटमेंट की जरूरत?
जब बच्चे के व्यवहार में बदलाव नहीं दिखाई दें। आपको लगने लगे कि बच्चे का विकास धीरे हो रहा है। बच्चे को नॉर्मल करने की सारी कोशिशें फेल हो जाए। स्कूलिंग और सोशल लाइफ में नेगिटिव असर पड़ रहा हो।
What Is The Cause Of Concern In Children
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