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अवधेश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच मुलाकात के पहले भारत में मीडिया तथा बुद्धिजीवियों के एक बड़े तबके द्वारा जो माहौल बनाया गया था ऐसा कुछ नहीं हुआ। ऐसा होना भी नहीं था। ऐसा माहौल बनाया जा रहा था मानो कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने के पहले जिस तरह कश्मीर, मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता आदि मुद्दों पर एकपक्षीय झंडा उठाती थी वैसा ही कुछ मोदी से मुलाकात में भी कर देंगी। एक टीवी डिबेट में तो इसी तरह के प्रश्न उठाए गए और अमेरिका से ऐसे लोगों को बिठाया गया था ताकि वह इसे और बड़ा बनाकर प्रस्तुत करें।
भारत अमेरिका रिश्ते राष्ट्रपति जो बिडेन प्रशासन की भारत के प्रति सोच तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुलाकात की पूर्व तैयारियां, उसके लिए बनाए गए एजेंडे आदि पर दृष्टि रखने वाले जानते थे कि ऐसा कुछ होना नहीं है। दोनों की मुलाकात और बातचीत सामान्य ढंग से ही संपन्न होगी। कमला हैरिस पर अब उपराष्ट्रपति की जिम्मेवारी है और उन्हें अमेरिकी हित का संरक्षण करना है। अमेरिकी हित इसी मायने में है कि जो भी उनके साझेदार देश हैं, जिनके साथ सामरिक साझेदारी है तथा जिनके साथ किसी भी स्तर के द्विपक्षीय संबंध है वह बेहतर हो। भारत जैसे विश्व के प्रभावशाली और प्रमुख देश के साथ कमला हैरिस जानबूझकर संबंध बिगड़ने वाला बयान देंगी या पहल करेंगी ऐसा ऐसी सोच के बारे में कुछ कहना व्यर्थ है।
जिस गर्मजोशी से कमला हैरिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली और दोनों के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जिस ढंग की प्रतिक्रियाएं और हाव – भाव व्यक्त किए गए उनसे साफ था कि बातचीत बिल्कुल सहज सामान्य और मित्रवत् माहौल में ही संपन्न हुआ। हां, यह प्रश्न अवश्य उठाया जा सकता है कि कमला हैरिस के साथ इस मुलाकात से निकला क्या? भारतीय मीडिया में कमला हैरिस द्वारा सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी के वक्तव्य का किया गया समर्थन सबसे बड़ी सुर्खियां बनी हुई है। सीमा पार आतंकवाद भारत के लिए दक्षिण एशिया में सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दा है और चूंकि पाकिस्तान का स्रोत है और वह भारत के विरोध में किसी सीमा तक जाने और काम करने के को तैयार है।
इसलिए भारतीय कूटनीति में इस विषय का खासकर अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से बातचीत में महत्वपूर्ण मुद्दा होना ही था। अंदर प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में इस विषय पर क्या निकला इसके बारे में जानकारी नहीं है किंतु पत्रकार वार्ता में कमला हैरिस ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद बड़ा मुद्दा है, पाकिस्तान में आतंकवादी हैं, उनको वहां समर्थन मिलता है और पाकिस्तान को इस पर रोक लगानी चाहिए ताकि भारत एवं अमेरिका दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इस तरह उन्होंने भारत की सुरक्षा चिंताओं को अमेरिका की सुरक्षा चिंता से भी जोड़ दिया है। यह भारतीय कूटनीति की एक बड़ी सफलता है।
साफ है कि पिछले कुछ समय से अफगानिस्तान में परिवर्तन के साथ भारतीय कूटनीति जिस तेजी से सक्रिय हुई, विदेश मंत्री का अमेरिका दौरा हुआ, विदेश सचिव, सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आदि ने अपने अमेरिकी समकक्ष से बातचीत कर की उनका भी असर है। उन वातार्ओं में यह विषय महत्वपूर्ण था कि अगर पाकिस्तान का प्रभाव अफगानिस्तान में बढ़ा तो वह भारत के साथ अमेरिका और दुनिया के लिए खतरा बन सकता है। पहले भी पाकिस्तान के कारण ही अमेरिका व अमेरिकी केन्द्रों पर आतंकवादी हमले हुए। तो जो बिडेन और कमला हैरिस इन शक्तियों से परिचित हैं। इसलिए उनके ऐसे बयान स्वाभाविक ही हैं।
हां, उनकी पृष्ठभूमि को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि उन्होंने भारत की सीमा पार आतंकवाद संबंधी चिंताओं के स्वर में स्वर मिलाया है। किंतु क्या इससे हम बहुत ज्यादा उम्मीद कर सकते हैं? इसका सीधा और सपाट उत्तर है, नहीं। 2000 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की यात्रा के साथ अमेरिका ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को स्वीकार किया था। जब बिल क्लिंटन पाकिस्तान गए उन्होंने सारे नेताओं व सैनिक अधिकारियों के समक्ष आतंकवाद पर पाकिस्तान की नीति को लेकरअत्यंत ही कठोरता से खरी- खरी सुनाई थी। तब से अमेरिका की स्पष्ट नीति आतंकवाद के विरुद्ध रही है। भारत की चिंताओं का सभी राष्ट्रपतियों ने अभी तक समर्थन किया है। यह अलग बात है कि हुआ कुछ नहीं। सब कुछ जानते हुए भी अमेरिका ने पाकिस्तान के विरुद्ध कभी कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। ज्यादा से ज्यादा हथियारों की आपूर्ति रोक दिए, स्थगित कर दिए, जो वित्तीय सहायता है उनमें कटौती कर दिया, कुछ समय के लिए उसे रोक दिया..।
पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करे इसकी दृष्टि से अमेरिका ने राजनयिक, सामरिक और आर्थिक तीनों स्तरों पर कभी ठोस कदम नहीं उठाया। इसलिए कमला हैरिस बोले या जो बिडेन जब तक अमेरिका किसी निर्णायक कार्रवाई के लिए या कदम उठाने की तैयारी नहीं दिखाता हमें ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। तो फिर? इस बयान का अर्थ इतना ही है कि जो बिडेन प्रशासन पाकिस्तान केंद्रित आतंकवाद संबंधी भारतीय सूचनाओं व दृष्टिकोण से सहमत है तथा भविष्य में अगर भारत कोई कार्रवाई करता है तो उसे अमेरिकी विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इसका दूसरा अर्थ यह है कि पाकिस्तान के विरुद्ध अमेरिका के तेवर सार्वजनिक रूप से आतंकवाद को लेकर थोड़े कड़े बने रहेंगे। अभी तक राष्ट्रपति बिडेन ने इमरान खान को फोन तक नहीं किया है। इमरान खान इसी चिंता में दुबले भी हुए जा रहे हैं। यह सामान्य बात नहीं है कि एक समय जो अमेरिका आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में पाकिस्तान को अपना पार्टनर समझता था वहां का राष्ट्रपति कार्यभार संभालने के लगभग आठ महीना बीत जाने के बाद तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बातचीत करने की भी जहमत नहीं उठ रहा। इससे पाकिस्तान की अमेरिकी प्रशासन की दृष्टि में क्या हैसियत है इसका पता चल जाता है। किंतु हमें अपनी लड़ाई स्वयं ही लड़नी है। अमेरिका को अपने लिए जो भी देश खतरा दिखा वहां के लिए उसने निर्णायक कदम उठाए। इराक हो, लीबिया हो, सीरिया हो , अफगानिस्तान हो सबके लिए अमेरिका ने कदम उठाए लेकिन पाकिस्तान के विरुद्ध उसने न जाने किन कारणों से कभी उस तरह तो छोड़िए उसका एक छोटे हिस्से का ध्यान भी केंद्रित नहीं किया।
अफगानिस्तान से अनर्थकारी वापसी के साथ अमेरिका ने यह संदेश दे दिया है कि जो बिडेन और कमला हैरिस प्रशासन के तहत वह आतंकवाद के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई से अपना हाथ खींच रहा है। इसमें हमें ज्यादा उम्मीद करने की आवश्यकता नहीं है। पर भारतीय कूटनीति इस दिशा में सक्रिय होना चाहिए। कमला हैरिस या जो बिडेन प्रशासन के ऐसे बयानों से पाकिस्तान तथा उनके दोस्तों पर दबाव बढ़ता है। इसका एक विश्वव्यापी संदेश भी जाता है। कम से कम इससे यह सुनिश्चित होता है कि अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान के पक्ष में आतंकवाद के संदर्भ में किसी प्रकार की नीति बनाने या कदम उठाने नहीं जा रहा है। यह हमारे लिए संतोष का विषय है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कमला हैरिस को भारत आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के उप राष्ट्रपति के रूप में आपका चुनाव एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक घटना रही है। आप विश्व भर में बहुत से लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं और मुझे विश्वास है कि राष्ट्रपति जो बिडेन एवं आपके नेतृत्व में हमारे द्विपक्षीय संबंध नई उचाई छुएंगे। उन्होंने हैरिस को निमंत्रण देते हुए कहा कि भारत के लोग आपका स्वागत करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मैं आपको भारत आने का निमंत्रण देता हूं। कमला हैरिस ने कहा कि भारत अमेरिका का एक बहुत ही महत्वपूर्ण साझेदार है। जब भारत कोविड की दूसरी लहर से परेशान था अमेरिका को भारत के लोगों की आवश्यकता और उसके लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी का समर्थन एवं सहयोग देने का गर्व है। हैरिस ने कोविड टिके के निर्यात को बहाल करने की भारत की घोषणा का स्वागत किया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत प्रतिदिन करीब एक करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है। निश्चित रूप से सारे उद्गार भारत और मोदी सरकार के पक्ष में जाते हैं। इससे भारत की व्यापक चिंता करने वाले लोग निश्चित रूप से प्रसन्न होंगे लेकिन जिन्होंने झंडा उठा कर रखा था कि कमला हैरिस उनके ही अनुसार किसी न किसी तरह का नकारात्मक बयान मोदी के समक्ष देगी उन्हें निश्चित रूप से निराशा होगी।
उनकी निराशा के लिए हम आप कुछ नहीं कर सकते। जैसा हमारे विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंखला ने कहा कि नरेंद्र मोदी और कमला हैरिस के बीच अंतरिक्ष सहयोग, सूचना प्रौद्योगिकी, उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्यौगिकी क्षेत्रों में सहयोग सहित भविष्य के अनेक विषयों पर चर्चा हुई। इस तरह मोदी और हरीश के बीच की केमिस्ट्री निश्चित रूप से फलदाई मानी जाएगी।
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