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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
विपक्षी दलों ने अब कृषि कानूनों के खिलाफ (Opposition Came in Support of Bharat Bandh) किसानों की जंग में अपनी सियासी ऊर्जा लगाने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस और माकपा से लेकर राकांपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने किसान संगठनों के 27 सितंबर को बुलाए गए भारत बंद के समर्थन का एलान (Opposition Came in Support of Bharat Bandh) कर इस मुद्दे पर सरकार की राजनीतिक घेरेबंदी पर बढ़ाने के इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। अब तक किसान संगठनों को नैतिक समर्थन दे रहे विपक्षी खेमे के कई दलों ने तो इस बंद के समर्थन में सड़क पर उतरने का भी एलान किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने प्रेस कांफ्रेंस में किसान संगठनों के भारत बंद का पार्टी की ओर से समर्थन करने की घोषणा करते हुए कहा है कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता शांतिपूर्ण बंद में पूरी ताकत से अन्नदाताओं के साथ है। वल्लभ ने कहा कि यह कोई जबरदस्ती का बंद नहीं है और देश की बड़ी-बड़ी यूनियन, जिसमें बैंक यूनियन भी शामिल हैं, वे किसानों का समर्थन कर रहे हैं। सरकार मंडी बंद करवा रही है और इसलिए उस सरकार को जगाने के लिए किसान भारत बंद करा रहे हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार को घेरने का हौसला विपक्षी दलों को पेगासस पर शुरू हुई सियासी जंग के निर्णायक रास्ते पर आने से मिला था। विपक्षी दलों की अगुआई कर रही कांग्रेस ने इसका संकेत देते हुए साफ कहा है कि पेगासस जासूसी पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही केंद्र सरकार की साजिश का सुप्रीम कोर्ट में पदार्फाश हो गया है।
राकांपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के अलावा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी खुलकर भारत बंद में किसान संगठनों के साथ शामिल (Opposition Came in Support of Bharat Bandh) होने की घोषणा पहले ही कर दी है। बिहार में राजद के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव ने बंद के दौरान तीनों कृषि कानून रद्द कराने के लिए सड़क पर उतरने की घोषणा की है। आंध्र प्रदेश में तेदेपा, दिल्ली में आम आदमी पार्टी, कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में सत्ताधारी द्रमुक जैसे दलों ने भी बंद का समर्थन करने का एलान करते हुए केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है।
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