शनिवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो देशद्रोह कानून निरस्त करने को लेकर दायर याचिका खारिज कर दें। सरकार ने केदारनाथ बनाम स्टेट आफ बिहार का हवाला देकर कहा है कि इसकी जरूरत नहीं है।
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। शनिवार को केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दें। चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की संवैधानिक पीठ देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली को ये भी तय करना था कि इस याचिका को पांच या सात जजों की संवैधानिक पीठ के पास रेफर किया जाए या फिर तीन जजों की बेंच ही इस याचिका पर सुनवाई करे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने लिखित तौर पर केदारनाथ बनाम स्टेट आफ बिहार केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बेंच से कहा है कि देशद्रोह को लेकर पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था इसलिए अब इस फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है।
ज्ञात रहे कि साल 1962 में केदारनाथ बनाम स्टेट आफ बिहार केस में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि देशद्रोह कानून के दुरुपयोग की संभावना के बावजूद इस कानून की उपयोगिता जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केदारनाथ सिंह मामले में देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए इसके दुरुपयोग के दायरे को सीमित करने का प्रयास किया था।
देश की शीर्ष अदालत की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि जब तक हिंसा के लिए उकसाने या ललकारने को नहीं किया जाता तब तक सरकार देशद्रोह का मामला दर्ज नहीं कर सकती।
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