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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Kisan Bharat Band केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया है। बंद दस घंटे तक रखे जाने का प्लान है। किसान संगठनों ने कहा है कि 27 सितंबर को सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक बंद रखा जाएगा। उन्होंने लोगों से सहयोग की अपील की है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेतृत्व में किसानों ने अपने आंदोलन को और मजबूत करने के लिए यह बंद बुलाया है। इसके तहत 40 किसान संगठन देश भर में आंदोलन की अगुवाई करेंगे।
विपक्षी दल ने भी अब केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई में शामिल होने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से लेकर राष्टÑवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और तृणमूल कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों ने किसान संगठनों के सोमवार को बुलाए गए भारत बंद के समर्थन का एैलान किया है। इससे साफ है विपक्षी पार्टियां सरकार की राजनीतिक घेरेबंदी पर फोकस बढ़ाना चाहती हैं। विपक्षी खेमे की कई पार्टियों ने तो इस बंद के समर्थन में सड़क पर उतरने का भी एलान कर दिया है। गौरतलब है कि अब तक इस तरह की पार्टियां किसान संगठनों को नैतिक समर्थन दे रही थी।
बता दें कि उन राज्यों में भारत बंद का असर ज्यादा हो सकता है जहां विपक्ष की सरकार है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के अलावा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी खुलकर इस बंद में किसान संगठनों के साथ शामिल होने की घोषणा पहले ही कर दी है। बिहार में आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने सड़क पर उतरने की घोषणा की है। आंध्र प्रदेश में तेदेपा, दिल्ली में आम आदमी पार्टी, कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में सत्ताधारी द्रमुक जैसे दलों ने भी बंद का समर्थन करने का एलान करते हुए केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है।
बता दें कि 26 सितंबर को किसान आंदोलन के दस महीने पूरे हो गए। दस महीने से किसान केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि भारत बंद से उनका यह किसान आंदोलन और मजबूत होगा। एसकेएम ने कहा है कि समाज के विभिन्न वर्गों को देश के विभिन्न हिस्सों में किसान संगठनों द्वारा किसानों के समर्थन और एकजुटता के लिए संपर्क किया जा रहा है, जो भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक आंदोलन से साथ जुड़े हैं।
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