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राहुल कादियान:
युवराज सिंह टीम इंडिया (Team India) के उन क्रिकेटरों में शुमार हैं जिनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं, युवराज सिंह (Yuvraj Singh) अपने वक्त पर बेहतरीन फॉर्म की वजह से टीम इंडिया (Team India) की कप्तानी के सबसे बड़े दावेदार माने जाते थे। उनके प्रर्दशन को देखकर सभी को उम्मींद थी कि भारतीय टीम के अगले कप्तान वही होंगे।
लेकिन फिर किन्हीं कारणों की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था। इसी बात को लेकर अब युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है, युवराज ने बताया है कि आखिर किस तरह क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की वजह से उनके हाथ से कप्तान बनने का मौका निकल गया।
युवराज सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान संजय मांजरेकर के सामने खुद को कप्तानी नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह का खुलासा किया है। इस इंटरव्यू में युवराज सिंह ने बताया कि आखिर किस तरह से ग्रेग चैपल विवाद में सचिन तेंदुलकर का साथ देने के कारण उन्हें टीम इंडिया का कप्तान नहीं बनाया गया।
अब जाहिर सी बात है कि इस पूरे विवाद में युवराज का सचिन तेंदुलकर के साथ खड़ा होना BCCI के कुछ पदाधिकारियों को रास नहीं आया। जिसके बाद न तो वह कप्तानी की दौड़ में विचार में लाए गए और न ही उपकप्तानी के पद को बचा पाए।
युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि, ‘मैं कप्तान बनना चाहता था, लेकिन फिर ग्रेग चैपल और सचिन तेंदुलकर के बीच विवाद हुआ, जिसमें मैंने सचिन का साथ दिया। BCCI के कुछ अधिकारियों को यह बात पसंद नहीं आई। मैंने ऐसा सुना था कि वह किसी को भी कप्तान बनाने के लिए तैयार थे लेकिन मुझे नहीं।
युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने कहा, ‘2007 इंग्लैंड दौरे पर वीरेंद्र सहवाग जैसे सीनियर खिलाड़ी टीम में नहीं थे। मैं उस दौरान वनडे टीम का उपकप्तान था और राहुल द्रविड़ कप्तान हुआ करते थे।
वनडे टीम का उपकप्तान होने के कारण मुझे लगा था कि आगे चलकर भारतीय टीम का कप्तान मैं ही बनने वाला हूं, लेकिन अचानक मुझे उपकप्तानी से भी हटा दिया गया, और फिर 2007 टी20 वर्ल्ड कप के लिए युवा महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बना दिया गया।
युवराज सिंह ने बताया कि भले ही उस वक्त कप्तानी का फैसला उनके खिलाफ गया, लेकिन उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है। आज भी अगर वह ऐसे हालात होते तो अपनी टीम के सीनियर खिलाड़ी के साथ खड़े होते।
आपको बता दें कि युवराज सिंह भले ही कप्तान नहीं बन पाए, लेकिन उन्होंने टीम इंडिया को 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप जिताने में बड़ा रोल निभाया है। उनके सहयोग के बिना भारतीय टीम के लिए दोनों वर्ल्ड कप जीतना आसान नहीं होता।
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