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When Children Do Body Shaming, Follow these tips
आजकल के बच्चे अपनी सेहत और अपने लुक को लेकर बहुत ज्यादा सतर्क रहते हैं। कई बार बच्चे खुद की लोगों से तुलना करते हैं। इसी का नतीजा है कि बच्चे खुद को मोटा और पतला भी कहने लगते हैं। खास कर यह दिक्कत लड़कियों में ज्यादा होती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ईटिंग डिसऑर्डर में 2015 के एक अध्ययन के अनुसार, 34 प्रतिशत लड़कियां 5 साल की उम्र से अपने खाने को प्रतिबंधित कर रही हैं ताकि वे मोटी न हों। अगर आपका बच्चा भी इसी तरह की बात करता है तो आप उसको इन तरीकों से समझाएं।
बच्चे मां बाप को सुनते हैं और समझते हैं। कई बार जब हम अपने शरीर के बारे में मोटे पतले होने की बात करते हैं। तो बच्चे उस बात को बहुत ज्यादा समझ तो नहीं पाते लेकिन उस पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दे देते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चों के सामने कभी किसी के बारे में या खुद के बारे में मोटे पतले होने की बात ना करें ना ही कभी रंग को लेकर कोई बात करें। इसका बच्चों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है और वह फिर वैसी ही बात खुद को लेकर भी करने लगते हैं।
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किशोरावस्था के दौरान लड़कियों का वजन बढ़ना स्वाभाविक है लेकिन कितना बढ़ना चाहिए। इसका ध्यान रखना जरूरी है कई बार इस स्थिति में भी लड़कियां अपने पेरेंट्स से शिकायत करती हैं कि उनका वजन बढ़ रहा है या वह मोटी हो रही हैं। आप उनको प्यार से समझाएं कि यह ऐसी स्थिति है जिसमें सब का वजन बढ़ता है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि बच्चे उस टाइम पर सही ढंग से खाना ना खाएं। इससे उनको पोषक तत्व नहीं मिलेगा और फिर उनका विकास भी सही ढंग से नहीं होगा।
बच्चे वही करेंगे, वही सुनेंगे जो आप कहेंगे। बच्चों में शुरू से रंग-रूप, कद-काठी को लेकर कोई भेदभाव न पनपने दें। बच्चों को यह सिखाएं के रंग रूप और कद काठी से कहीं ज्यादा जरूरी है एक अच्छा इंसान बनना। आपकी प्रतिक्रिया बच्चों की सोच को बनाती है अगर आप किसी के बारे में इस तरह की बात करेंगे। तो बच्चा भी खुद के बारे में और लोगों के बारे में वैसी ही भावना बनाएगा।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें।
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