FPI Withdrawal Continue | In May 40000 crores withdrawn from market
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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी जारी, मई में भारतीय बाजार से निकाले 40000 करोड़ रुपए

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : June 5, 2022, 4:11 pm IST
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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी जारी, मई में भारतीय बाजार से निकाले 40000 करोड़ रुपए

FPI Withdrawal Continue

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भारतीय बाजारों से निकासी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मई के महीने में भी भारतीय बाजार से 40000 करोड़ रुपए निकाले हैं। इसी के साथ यह लगातार 8वां महीना रहा जब एफपीआई ने निकासी जारी रखी।

बताया जा रहा है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच विदेशी निवेशक बिकवाल बने हुए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस तरह 2022 में ऋढक अब तक 1.69 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने मई में शेयर बाजारों से कुल 39,993 करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि घरेलू पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से खरीदारी जारी है। इसी कारण भारतीय शेयर बाजार थोड़ा संभला हुआ है। लेकिन भारतीय बाजारों से एफपीआई का लगातार निकासी करना चिंता का विषय बना हुआ है।

8 महीने में निकाल चुके 2.07 लाख करोड़

आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से अक्टूबर, 2021 से मई, 2022 तक 8 माह में 2.07 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। इस बारे में जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई बिकवाली की रफ्तार पहले के मुकाबले काफी कम धीमी हुई है। जून महीने के शुरूआती दिनों में उनकी बिकवाली काफी कम रही है। यदि डॉलर और अमेरिकी बांड पर प्रतिफल स्थिर होता है, तो एफपीआई की बिकवाली रुक सकती है।

FPI Withdrawal

आगे क्या हो सकता है निवेशकों का कदम

एफपीआई की ओर से लगातार जारी निकासी पर कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (खुदरा) हेड श्रीकांत चौहान का मानना है कि जियो-पॉलिटिकल टेंशन, हाई इन्फ्लेशन, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख में सख्ती के चलते एफपीआई का प्रवाह आगे भी उतार-चढ़ाव वाला रहने वाला है।

वहीं मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की निकासी का मुख्य कारण अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में अधिक आक्रामक तरीके से वृद्धि की आशंका है। फेडरल रिजर्व इस साल बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू के लिए नीतिगत दरों में दो बार बढ़ोतरी कर चुका है।

इनके अलावा बीडीओ इंडिया के पार्टनर और लीडर (वित्तीय सेवा कर) मनोज पुरोहित ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध 100 दिन हो गए हैं लेकिन अभी तक कोई निर्णायक फैसला नहीं हो पाया है। इसी कारण एफपीआई असमंजस में हैं। वहीं युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं। ऐसे में अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी, वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को सख्त करने और विदेशी मुद्रा डॉलर दर में बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक संवेदनशील बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं।

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