होम / आखिर भारत में किसानों की सब्सिडी क्यों समाप्त करना चाहता है अमेरिका?

आखिर भारत में किसानों की सब्सिडी क्यों समाप्त करना चाहता है अमेरिका?

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : June 16, 2022, 4:47 pm IST
ADVERTISEMENT
आखिर भारत में किसानों की सब्सिडी क्यों समाप्त करना चाहता है अमेरिका?

Farmers Subsidies

इंडिया न्यूज, Delhi News (Farmers Subsidies):
12 जून से 15 जून 2022 तक जेनेवा में वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक हुई, जिसमें अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारतीय किसानों को मिलने वाली एग्रीकल्चरल सब्सिडी का विरोध किया। क्योंकि बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों को हर साल जो 6 हजार रुपए देते हैं, यह भी एग्रीकल्चरल सब्सिडी में शामिल है।

इसे रोकने के लिए अमेरिका और यूरोप ने पूरी ताकत झोंक दी है। भारत ने भी इस मुद्दे पर ताकतवर देशों के आगे झुकने से मना कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि डब्ल्यूटीओ में किस बात को लेकर मीटिंग हुई है और भारत क्यों कर रहा इसका विरोध।

जेनेवा में कौन से तीन मुद्दों को लेकर हुई बैठक?

बीते दिनों जेनेवा में वर्ल्ड ट्रेड आॅर्गेनाइजेशन की बैठक हुई, जिसमें 164 सदस्य देशों वाले डब्ल्यूटीओ के जी-33 ग्रुप के 47 देशों के मंत्रियों ने बैठक में भाग लिया। वहीं भारत देश की तरफ से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए। इस साल होने वाली डब्ल्यूटीओ की बैठक में इन 3 अहम विषयों पर प्रस्ताव लाने की तैयारी की गई। पहली-कृषि सब्सिडी को खत्म करने के लिए। दूसरी- मछली पकड़ने पर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने के लिए। तीसरी-कोविड वैक्सीन पेटेंट पर नए नियम लाने के लिए।

अमेरिका, यूरोप और दूसरे ताकतवर देश इन तीनों ही मुद्दों पर लाए जाने वाले प्रस्ताव के समर्थन में थे, जबकि भारत ने इन तीनों ही प्रस्ताव पर ताकतवर देशों का जमकर विरोध किया। भारत ने ताकतवर देशों के दबाव के बावजूद एग्रीकल्चरल सब्सिडी को खत्म करने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले में भारत को हळड के 80 देशों का साथ मिला है।

Farmer

भारत क्यों कर रहा विरोध?

एग्रीकल्चरल सब्सिडी: अमेरिका और यूरोप चाहते हैं कि भारत अपने यहां किसानों को दी जाने वाली हर तरह की एग्रीकल्चरल सब्सिडी को खत्म करे। जैसे- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत दी जाने वाली सालाना 6 हजार रुपए। यूरिया, खाद और बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी। अनाज पर एमएसपी के रूप में दी जाने वाली सब्सिडी। अमेरिका जैसे ताकतवर देशों का मानना है कि सब्सिडी की वजह से भारतीय किसान चावल और गेहूं का भरपूर उत्पादन करते हैं।

इसकी वजह से भारत का अनाज दुनियाभर के बाजार में कम कीमत में मिल जाता है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के अनाज की कीमत ज्यादा होने की वजह से विकासशील देशों में इसकी बिक्री कम होती है। यही वजह है कि दुनिया के अनाज बाजार में दबदबा कायम करने के लिए ताकतवर देश भारत को एग्रीकल्चरल सब्सिडी देने से रोकना चाहते हैं। भारत इसे मानने के लिए तैयार नहीं है।

क्यों अमेरिका जैसे देश मछुआरों को सब्सिडी देने से रोकना चाहते?

ताकतवर देशों का मानना है कि भारत जैसे विकासशील देश सरकारी मदद के दम पर ज्यादा मछली उत्पादन करते हैं। इससे ग्लोबल मार्केट में दूसरे देशों को कॉम्पिटिशन का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि अमेरिका जैसे देश मछुआरों को सब्सिडी देने से रोकना चाहते हैं। साथ ही मछली पकड़ने पर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाना चाहते हैं।

भारत ने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इसके पीछे भारत का तर्क यह है कि ऐसा हुआ तो भारत के 10 राज्यों के 40 लाख मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा।

क्या पंजाब के किसान सबसे ज्यादा संपन्न हैं?

Farmers

भारत के किसानों को सरकारी मदद या सब्सिडी की कितनी जरूरत है। इसे पंजाब के उदाहरण से समझ सकते हैं। सरकारी रिपोर्ट मुताबिक एक औसत भारतीय किसान परिवार की सालाना आय 77,124 रुपए है। जबकि पंजाब के किसान परिवार की औसत सालाना आय 2,16,708 रुपए है। पंजाब के किसानों की मजबूत आर्थिक स्थिति इस बात का प्रतीक है कि सरकारी मदद कितनी मददगार हो सकती है।

यही वजह है कि भारत सरकार देश के किसानों को बीज से लेकर पानी और बिजली तक पर सब्सिडी देती है। खेती में बढ़ती लागत को देखते हुए किसानों की आय बढ़ाने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस और बिजली, उर्वरक पर मिलने वाली सब्सिडी ही एक तरीका नजर आता है।

डब्ल्यूटीओ में भले ही अमेरिका और दूसरे ताकतवर देश विकासशील देशों के किसानों को सब्सिडी देने से मना करते हों, लेकिन खुद अमेरिका अपने देश के समृद्ध किसानों को सब्सिडी देने में दूसरे देशों से कहीं आगे हैं। वो भी तब, जब अमेरिकी किसानों की सालाना आय भारतीय किसानों से 52 गुना ज्यादा है।

बैठक में कोविड वैक्सीन पेटेंट पर बातचीत क्यों?

डब्ल्टीओ के जी-33 बैठक में कोविड वैक्सीन के पेटेंट को लेकर बैठक हुई है। दरअसल अमेरिका और कई यूरोपीय देशों का मानना है कि कोविड वैक्सीन का पेटेंट होना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि जो कंपनी वैक्सीन बनाएगी, उसे बनाने और बेचने का अधिकार सिर्फ उसी के पास हो। दूसरी ओर भारत जैसे विकासशील देशों का मानना है कि महामारी के दौर में वैक्सीन चाहे जो कंपनी भी बनाए। लेकिन उस तकनीक को हर देश के साथ साझा किया जाना चाहिए। इससे महामारी को रोकने में मदद मिलेगी।

कोरोना के खिलाफ दुनिया की 70फीसदी आबादी को पूरी तरह से टीका लगाने के लिए लगभग 1100 करोड़ वैक्सीन खुराक की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक अब भी 40फीसदी दुनिया की जनसंख्या को वैक्सीन की पहली डोज नहीं लगी है। ऐसे में भारत कोरोना वैक्सीन पेटेंट का विरोध कर रहा है।

भारत को कितने देशों का सपोर्ट है?

भले ही सीमा विवाद को लेकर एलएसी पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने हों, लेकिन डब्ल्यूटीओ में सब्सिडी के खिलाफ पेश प्रस्ताव के मामले में भारत और चीन दोनों साथ आ गए हैं। इस मामले में भारत को डब्ल्यूटीओ के 80 सदस्य देशों का साथ मिल रहा है।

यह पहली बार नहीं है, जब डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ एशिया के दो बड़े देश चीन और भारत साथ आए हैं। इससे पहले 17 जुलाई 2017 को भी दोनों देशों ने मिलकर किसानों के सब्सिडी मामले में पश्चिमी देशों का विरोध किया था। दरअसल चीन भी अपने किसानों को सालाना 17 लाख रुपए से ज्यादा की सरकारी मदद, यानी सब्सिडी देता है।

क्यों अमेरिकी सांसदों ने भारत को दी केस की चेतावनी

जेनेवा में शुरू होने वाले डब्ल्यूटीओ की बैठक से पहले 28 अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में केस करने की मांग की थी। इन सांसदों ने भारत सरकार पर किसानों को तय नियम से ज्यादा सब्सिडी देने का आरोप लगाया था।

अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में लिखा था कि भारत सरकार डब्ल्यूटीओ के तय नियम के मुताबिक अनाजों को उत्पादन मूल्य पर 10 फीसदी से ज्यादा सब्सिडी दे रही है। इससे वैश्विक बाजार में कम कीमत पर भारत का अनाज आसानी से उप्लब्ध हो जा रहा है। ये अमेरिकी किसानों के हित में नहीं है। यही वजह है कि अमेरिकी सांसदों ने भारत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग राष्ट्रपति जो बाइडन से की है।

ये भी पढ़े : सोने चांदी की कीमतों में आया उछाल, जानिए आप पर कितना असर पड़ेगा

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !

ये भी पढ़े : फिर से बढ़ सकते हैं पेट्रोल ओर डीजल के भाव, ये रही बड़ी वजह

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

Tags:

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

Sambhal Violence: ‘संभल हिंसा सोची समझी …का हिस्सा’, अफजाल अंसारी बोले- बेगुनाहों के साथ हुई गलत कार्रवाई
Sambhal Violence: ‘संभल हिंसा सोची समझी …का हिस्सा’, अफजाल अंसारी बोले- बेगुनाहों के साथ हुई गलत कार्रवाई
अमेरिका-चीन की गंदी चाल पर भारत को आया गुस्सा, कही ऐसी बात कि याद रखेंगी जो बाइडेन और जिनपिंग की 7 पुश्तें
अमेरिका-चीन की गंदी चाल पर भारत को आया गुस्सा, कही ऐसी बात कि याद रखेंगी जो बाइडेन और जिनपिंग की 7 पुश्तें
Bareilly Bridge Accident: PWD के 4 इंजीनियरों पर मुकदमा, गूगल मैप के क्षेत्रीय प्रबंधक भी आए लपेटे में
Bareilly Bridge Accident: PWD के 4 इंजीनियरों पर मुकदमा, गूगल मैप के क्षेत्रीय प्रबंधक भी आए लपेटे में
कौन है IPS दीपम सेठ, जानें उत्तराखंड के बने नए डीजीपी
कौन है IPS दीपम सेठ, जानें उत्तराखंड के बने नए डीजीपी
‘गोलीबारी नहीं, हत्या है’, संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
‘गोलीबारी नहीं, हत्या है’, संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
EVM पर बंटी कांग्रेस ! मस्क का जिक्र कर CM सुक्खू ने उठाए सवाल, चिदंबरम बोले- हार-जीत का ईवीएम से लेना-देना नहीं
EVM पर बंटी कांग्रेस ! मस्क का जिक्र कर CM सुक्खू ने उठाए सवाल, चिदंबरम बोले- हार-जीत का ईवीएम से लेना-देना नहीं
DUSU चुनाव में अध्यक्ष पद पर NSUI ने मारी बाजी, रौनेक खत्री बने प्रेसिडेंट
DUSU चुनाव में अध्यक्ष पद पर NSUI ने मारी बाजी, रौनेक खत्री बने प्रेसिडेंट
अशोक गहलोत के पूर्व OSD लोकेश शर्मा अरेस्ट, कुछ ही देर बाद जमानत
अशोक गहलोत के पूर्व OSD लोकेश शर्मा अरेस्ट, कुछ ही देर बाद जमानत
Sambhal Violence: ‘हिंसा के पीछे मौलानाओं का …’, संभल हिंसा VHP का सनसनीखेज आरोप; उठाई ये बड़ी मांग
Sambhal Violence: ‘हिंसा के पीछे मौलानाओं का …’, संभल हिंसा VHP का सनसनीखेज आरोप; उठाई ये बड़ी मांग
Maharashtra CM की बहस खत्म, RSS ने किया ऐसा काम, सुनकर शिंदे का कलेजा मुंह को आ जाएगा?
Maharashtra CM की बहस खत्म, RSS ने किया ऐसा काम, सुनकर शिंदे का कलेजा मुंह को आ जाएगा?
चेहरा खराब कर देते हैं किडनी फेलियर के ये 4 भयंकर लक्षण, समय से पहले करवा लें जांच वरना झेलनी पड़ सकती है बड़ी परेशानी
चेहरा खराब कर देते हैं किडनी फेलियर के ये 4 भयंकर लक्षण, समय से पहले करवा लें जांच वरना झेलनी पड़ सकती है बड़ी परेशानी
ADVERTISEMENT