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मुल्ला याकूब और हक्कानी नेटवर्क में बढ़ी खींचतान
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
काबूल से अमेरिकी सेना के लौटते ही अफगानिस्तान में तालिबानी राज पूर्ण रूप से लागू हो चुका है। सरकार के गठन की औपचारिकताएं भी जल्द ही पूर्ण होने वाली हैं। लेकिन सरकार बनाने से पूर्व ही सत्ता में अपनी हिस्सेदारी को मजबूत रखने के लिए दो गुटों में टकराव भी देखने को मिल रहा है। यह टकराव मुल्ला याकुब और हक्कानी नेटवर्क के बीच में है। दरअसल, तालिबान नेतृत्व गुट मुल्ला याकूब और हक्कानी का पाकिस्तान समर्थक गुट में मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान अफगानिस्तान की नई सरकार में अपनी भूमिका के अवसर देख रहा है।
तालिबान बेशक दुनिया के सामने अपनी एकता का प्रदर्शन कर रहा हो लेकिन इसकी अंदरूनी कलह धीरे-धीरे सामने आ रही है। तालिबान की स्थापना करने वाले मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब चाहता है कि कैबिनेट में सेना से जुड़े लोगों को लाया जाए, न कि राजनीति से जुड़े लोग। वहीं, तालिबान के सह-संस्थापक नेता मुल्लाह बरादर की इच्छा इसके विपरीत है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफगान सरकार में हर कोई अपने फायदे के लिए लड़ रहा है और अफगानिस्तान में तालिबान के लिए सरकार बनाना और ठीक तरह से चलाना आसान नहीं होगा।
कुछ रिपोर्ट्स की माने तो मुल्लाह याकूब ने कहा है कि जो लोग दोहा में शाही तरीके से जीवन यापन कर रहे हैं, वे अमेरिकी सेना के खिलाफ देश में जिहाद करने वाले लोगों को नियम-कायदे न सिखाएं। मुल्लाह बरादर और शेर मोहम्मद स्तेनकजई ही दोहा से तालिबान की राजनीति का नेतृत्व करते हैं और इन दोनों ने ही अमेरिकी दूत जलमे खालीजन, पाकिस्तान और ब्रिटेन के साथ बातचीत की थी। आपको बता दें कि अफगानिस्तान की नई सरकार में सुप्रीम लीडर के तौर पर तालिबान नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा को चुना जा सकता है तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान में सुप्रीम काउंसिल का भी गठन होगा, जो काबुल से संचालित होगी। वहीं सुप्रीम लीडर कंधार में ही बने रहेंगे। सुप्रीम काउंसिल में 11 से 72 लोगों को शामिल किया जा सकता है। इसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री को लेकर भी दो दावेदार सामने आ रहे हैं। इनमें तालिबानी नेता मुल्लाह बरादर और मुल्लाह याकूब के नाम शामिल है।
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