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इंडिया न्यूज, New Delhi News। Satellite SSLV-D1 : आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर ISRO ने एक सैटलाइट लॉन्च किया था लेकिन इसरो को अपने इस प्रसास में सफलता नहीं मिली। रविवार को ISRO ने बताया कि स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल SSLV-D1 अब इस्तेमाल लायक नहीं रह गया है क्योंकि यह पृथ्वी की सर्कुलर ऑर्बिट की जगह एलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित हो गया है।
सैटलाइट की इस बदली हुई दिशा का कारण इसरो ने सेंसर की फेल्योर बताया है। इसरो का कहना है कि यह सेंसर की फेल्योर होने के कारण हुआ है। सेंसर की वजह से ही सैटलाइट ने अपनी दिशा को बदल लिया है और यह पृथ्वी की गलत कक्षा में स्थापित हो गया है।
वहीं इसरो ने बताया कि इस बार हुई चूक का विशलेषण किया जाएगा। जो गलती अबकी बार हुई है उसमें सुधार किया जाएगा। जिसके बाद जल्द ही एसएसएलवी-डी-2 को लॉन्च किया जाएगा।
इसरो से मिली जानकारी अनुसार SSLV-D1 ने सैटलाइट को 356 किमी 76किमी एलिप्टिल ऑर्बिट में प्लेस कर दिया जबकि इसे 356 किमी सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित किया जाना था। अब सैटलाइट इस्तेमाल में नहीं आ सकेगा। इसरो ने कहा कि समस्या की ठीक से पहचान कर ली गई है।
आपको बता दें कि इसरो ने स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल से देश की 750 ग्रमीण छात्राओं द्वारा बनाया गया सैटलाइट भी लॉन्च किया था। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसकी पूरी तैयारी की गई थी।
यह इसरो को अपने इस प्रयास में सफलता मिलती तो स्मॉल सैटलाइट लॉन्चिंग के लिए दुनियाभर की नजरें भारत की ही तरफ होतीं। अगर इसरो को अपनी इस लॉन्चिंग में सफलता मिल जाती तो यह मिशन एक ऐतिहासिक मिशन होता लेकिन तकनीकि समस्या के कारण सफलता नहीं मिल पाई।
इस सैटलाइट की लॉन्चिंग के पीछे इसरो का उद्देशय था कि आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर 750 छात्राओं का बनाया सैटलाइट लॉन्च किया जाएगा। यदि इसमें सफलता मिलती तो यह अनूठा प्रयोग होता।
ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी लॉन्चिंग स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल से की जा रही थी। जो भविष्य काफी उपयोगी सिद्ध होता। 500 किलो तक के उपग्रह की लॉन्चिंग में यह एक अहम कदम होता। वहीं इसरो का कहना है कि वह हार नहीं मानेगा और जल्द एसएसएलवी डी-2 को लॉन्च करेगा।
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