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Sarvapitr Amaavasya सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर बुधवार को, 11 साल बाद बन रहा है गजछाया योग, पितृ पूजा से मिलेगी कर्ज से मुक्ति

PUBLISHED BY: Sunita • LAST UPDATED : October 3, 2021, 7:24 am IST
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Sarvapitr Amaavasya सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर बुधवार को, 11 साल बाद बन रहा है गजछाया योग, पितृ पूजा से मिलेगी कर्ज से मुक्ति

Sarvapitr Amaavasya

Sarvapitr Amaavasya : सर्वार्थ सिद्धि योग, कुमार योग, गजछाया योग और चतुर्ग्रही योग एक साथ

कन्या राशि वालों के लिए खास है अमावस्या (Sarvapitr Amaavasya)

सर्व पितृ अमावस्या पर छाया योग में श्राद्ध करने पर पीढ़ियों से पुराना तर्ज भी उतर जाता है। ऐसा धर्म ग्रंथ मानते हैं। इस बार यह योग 11 साल बाद बन रहा है। इसके बाद ऐसा शुभ योग 8 साल बाद 2029 के पितृपक्ष में बनेगा। इसलिए यह अमावस्या खास महत्व रखती है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध तर्पण भी किया जा सकता है। जिन के निधन की तारीख मालूम नहीं होती। इस बार 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है।
 नरेश भारद्वाज
Sarvapitr Amaavasya : इस बार 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसा शुभ योग बन रहा है। पितृ पक्ष के आखिरी दिन को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसे पितृ विर्सजनी भी कहा जाता है। जिसमें श्राद्ध करने पर पीढ़ियों पुराना कर्ज भी उतर जाता है। गज छाया योग में पितरों का तर्पण करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। ऐसा धर्म ग्रंथों में कहा गया है। इससे पहले 2010 में ये योग बना था और इसके बाद 8 साल बाद 2029 में ऐसा शुभ योग बनेगा। अमावस्या पर 6 अक्टूबर को सूर्य और चंद्रमा दोनों सूर्य उदय से लेकर शाम 4:34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में रहेंगे। ग्रहों की ऐसी स्थिति से गज छाया योग बनता है। इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। कहते हैं गज छाया योग में किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की अगले 12 सालों तक के लिए क्षुधा शांत हो जाती है।

क्‍या है गजछाया योग और क्‍यों है खास (Sarvapitr Amaavasya)

Sarvapitr Amaavasya

गजछाया योग एक ऐसा योग है। जो प्रत्‍येक वर्ष नहीं बनता बल्कि यह कभी-कभार कुछ व‍िशेष नक्षत्रों के संयोग से ही बनते हैं। मान्‍यता है क‍ि यह जब भी बनता है तो केवल प‍ितृपक्ष में बनता है। जब आश्विन कृष्‍ण पक्ष में त्रयोदशी त‍िथ‍ि को चंद्रमा और सूर्य दोनों हस्त नक्षत्र में होते हैं । यह त‍िथ‍ि पितृपक्ष की त्रयोदशी या फ‍िर अमावस्‍या के द‍िन ही बनती है। इस योग का उल्‍लेख स्‍कंदपुराण, अग्निपुराण, मत्‍स्‍यपुराण, वराहपुराण और महाभारत में किया गाय है। मान्‍यता है क‍ि इस योग में अगर प‍ितरों का श्राद्ध तर्पण क‍िया जाए तो प‍ितर कम से कम 13 वर्ष तक तृप्‍त रहते हैं। सूर्य पर राहू या फिर केतू की दृष्टि पड़ने पर गज छाया का योग बनता है।
इससे पहले 2010 में सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर भी गज छाया योग बना था। पितृ पक्ष में गज छाया योग होने पर तर्पण और श्राद्ध करने से वंश वृद्धि, धन संपत्ति और पितरों से मिलने वाले आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस योग को पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का खास अवसर बताया गया है। गजछाया योग में गया, पुष्‍कर, हर‍िद्वार, बद्रीनाथ और प्रयागराज में इस व‍िशेष योग के दौरान प‍ितरों का श्राद्ध करने के ल‍िए लोग दूर-दूर से आते हैं। नद‍ी के तट पर प‍ितरों का श्राद्ध करते हैं। मान्‍यता है क‍ि इस योग में श्राद्ध करने से प‍ितरों को सद्गत‍ि तो म‍िलती ही है साथ ही अक्षय पुण्‍य की भी प्राप्ति होती है।
इस वर्ष 5 अक्टूबर को पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस रात 1 बजकर 10 मिनट से गजछाया योग आरंभ होगा। और यह 6 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस समय पितरों का पूजन अत्यंत शुभ फलदायी होगा। शास्त्रों के अनुसार इस संयोग में चंद्रमा के ऊपर स्थित पितृलोक से पितरों की आत्माएं आसानी से आ जा सकती हैं। इसलिए इस योग में पितरों की पूजा बहुत ही शुभ कहा गया है।

कन्या राशि में बनेगा चतुर्ग्रही योग (Sarvapitr Amaavasya)

सर्वपितृ अमावस्या के दिन कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। यह विशेष योग बेहद ही कम बनता है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र की नजर से यह दिन बेहद ही खास है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध ग्रह मिलकर कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बना रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अमावस्या के दिन ऐसा बेहद ही कम संयोग बनता है, जब सर्वार्थ सिद्धि योग, कुमार योग, गजछाया योग और चतुर्ग्रही योग एक साथ आएं। चतुर्ग्रही योग कन्या राशि वालों के लिए काफी शुभ होगा।
कुतप काल: शास्त्रों में बताया गया है की कुतप काल में ही श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस काल में श्राद्ध करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का निवास होता है। इस दिन गौस ग्रास और पीपल पर जल-तिलांजलि करना शुभ माना जाता है। साथ ही शाम के समय दरवाजे पर दीपक भी जलाना चाहिए।

अमावस्या पर इन 10 तरीकों से करें पूर्वजों को प्रसन्न (Sarvapitr Amaavasya)

Sarvapitr Amaavasya

1.सर्वपितृ अमावस्या अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस बार पितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन बुधवार होने के चलते इसका महत्व ज्यादा बढ़ गया है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पूर्वजों के नाम से दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
2.सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पत्तों पर पांच तरह की मिठाइयां रखें। इस दौरान पूर्वजों का ध्यान करें और उन्हें मिठाई और जल चढ़ाएं। इससे पितृ गढ़ प्रसन्न होंगे।
3.तर्पण करने के लिए हाथ में कुश की अंगूठी पहने। इसके बाद सीधे हाथ में जल, जौ और काले तिल लेकर अपना गोत्र बोलें। अब आखिर में इन्हें पितरों को समर्पित करें।
4.तर्पण करते समय जल हमेशा हाथ के अंगूठे के बगल वाली अंगुली से दें। इसके अलावा पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपल जलाएं। इससे पूर्वजें की आत्मा को शांति मिलेगी।
5.शनि अमावस्या के दिन चींटी, कौआ, गाय, कुत्ता, बिल्ली और ब्राह्मण के नाम से भोजन निकालें। इसके बाद अंत में मंदिर में अन्न का दान दें। इससे पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।
6.तर्पण के दौरान पीपल के वृक्ष की जड़ में तिल और दूध मिलाकर अर्पण करना भी शुभ होता है। इस दौरान एक नारियल, कुछ सिक्के, मिठाई और एक जनेऊ भी रखें।
7.श्राद्ध के लिए तिल और चावल मिलाकर पिंड बनाएं, जिसे पितरों को अर्पित करें। श्राद्ध के समय इसे इस्तेमाल करने से पहले इसके पांच हिस्से निकालें। इसमें पितरों के अलावा गाय, कौवा, कुत्ता और ब्राम्हण शामिल हैं।
8.सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह सूर्य देव को जल अर्पण करें। इस दौरान गायत्री मंत्र का भी जाप करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
9.सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी ब्राम्हण को कंबल का दान करना भी शुभ माना जाता है। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
10.पितृ अमावस्या पर नारियल पर लाल सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं। अब इसे बजरंगबली के मंदिर में अर्पण करें। इससे दोष दूर होंगे।

गज छाया योग की अवधि  (Sarvapitr Amaavasya)

5 अक्टूबर रात 1:10 से आरंभ
6 अक्टूबर शाम 4:35 पर समापन
सर्व पितृ अमावस्या मुहूर्त-आश्विन अमावस्या प्रारंभ- 05 अक्तूबर 2021 को शाम 07 बजकर 04 मिनट सेआश्विन अमावस्या समाप्त- 06 अक्तूबर 2021 को शाम 04 बजकर 34 मिनट तक

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